۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
हिजाब

हौज़ा / कर्नाटक में हिजाब के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है अब राजनीतिक रंग ले चुका है। बल्कि यह कहा जा सकता है कि हिजाब के खिलाफ राजनीति नफरत में बदल गई है। अन्यथा कालेज के कैम्पस मे छात्र भगवा गम्छा गले मे डाले हुए जय श्री राम के नारो क्यो लगा रहे थे?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय राज्य कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं पर हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ इस समय पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, इस संबंध मे हौज़ा न्यूज़ एजेंसी ने भारत के कुछ प्रसिद्ध एंव वरिष्ठ विद्वानो के साक्षात्कार के माध्यम से उनके दृष्टि कोण जानने का प्रयास किया है।

प्रश्न: भारत में इस समय चल रहे हिजाब विरोधी अभियान पर आपका क्या विचार है?

इस सवाल का जवाब देते हुए जामेआ अहलेबैत (अ.स.) दिल्ली के संस्थापक और प्रोफेसर हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना काजी सैयद मुहम्मद अस्करी ने कहा कि मानव विरोधी ताकतें, मानव विरोधी तत्व और साम्राज्यवादी दिमाग वाले लोग इस्लाम और मुसलमान , और मुस्लमानो को अपने नापाक इरादो के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा मानते हैं, और अपने दोषपूर्ण दावे में इस्लाम और मुसलमानों को धरती से मिटाने के लिए जोर-शोर से जोर दे रहे हैं, और भिन्न भिन्न प्रकार षडयंत्र रचते रहते हैं।

हिजाब का विरोध मानवीय मूल्यों और नैतिकता का विरोध है, भारतीय विद्वान
मौलाना काज़ी सैयद मोहम्मद अस्करी

मौलाना ने कहा कि कर्नाटक में हिजाब पहने छात्रा के खिलाफ उसी जघन्य कृत्य श्रृंखला की एक कड़ी हैं। इस अमानवीय साजिश के पीछे दो मुख्य उद्देश्य हैं। एक मुस्मानो को मानसिक रूप से मरऊब और भयभीत करके विकास की दौड़ से अलग करना और दूसरे उनकी परीक्षण करना कि मुसलमान इस समय इस्लामी शिक्षाओं और कर्तव्यों के प्रति कितने संवेदनशील हैं। अभी उनके अंदर इस्लामी गैरत बाकी है या अब वो बेग़ैरती का चोला पहन कर इस्लामी मूल्यो से दूर हो चुके है। अर्थात इस्लाम को जड़ से उखाड़ फेंकने का समय आ गया है, लेकिन अल्लाह का शुक्र है कि अशुद्ध तत्वों को एक बार फिर पराजित होना पड़ा हैं और भारत के गौरवान्वित मुसलमानों ने धार्मिक और इस्लामी मूल्यों के प्रति पूर्ण निष्ठा दिखाई है।

प्रश्न: मुस्लिम महिलाओं को अपने हिजाब की रक्षा के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

मुंबई की खोजा जामा मस्जिद के इमामे जुमा और जामेअतुल इमाम अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) के प्रिंसिपल हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद अहमद अली आबिदी सबसे पहले इस्लाम मे हिजाब के महत्व की ओर इशारा किया और कहा कि यह एक ईश्वरीय कानून है जिसमें किसी भी बदलाव की कोई संभावना नहीं है। हिजाब न केवल इस्लामी शिक्षाओं में बल्कि दुनिया के सभी सभ्य राष्ट्रों में हिजाब मौजूद है और महिलाएं बिना हिजाब के बाहर नहीं आती हैं भारत मे जो प्राचीन हिंदू सभ्यता है उस हिंदू सभ्यता मे आज भी हिंदू महिलाए खुले सर बाजार में और लोगों के सामने नहीं आती हैं क्योंकि उनके धर्म में हिजाब है, इस्लाम में भी हिजाब अनिवार्य है और युवावस्था तक पहुंचने वाली हर लड़की पर हिजाब अनिवार्य है और वह बिना हिजाब के नही आ सकती इसलिए हम किसी भी सूरत में हिजाब पर समझौता नहीं कर सकते क्योंकि परदे को अल्लाह ताआला ने अनिवार्य किया है, इसलिए दुनिया में कोई भी इंसान इस नियम को नहीं बदल सकता है।

हिजाब का विरोध मानवीय मूल्यों और नैतिकता का विरोध है, भारतीय विद्वान
मौलाना अहमद अली आबिदि

मौलाना ने आगे कहा कि दुनिया की प्रगति से इस्लामी कानूनों में कोई बदलाव नहीं हो सकता है, और किसी को भी ईश्वर के नियमों को बदलने का अधिकार नहीं है, इसलिए यह पर्दा जरूरी है, और इसका पालन करना सभी का अधिकार है और सभी को मिलकर उसके खिलाफ आवाज उठाना चाहिए, और यह परदा किसी भी तरह से देश की सभ्यता के खिलाफ नहीं है बल्कि भारत की रंगीन सभ्यता का हिस्सा है, इसलिए हिजाब जरूरी है, और हिजाब का विरोध मानवीय मूल्यों और मानव नैतिकता के खिलाफ है।

प्रश्न: पर्दे के खिलाफ इस अभियान को आप कैसे देखते हैं? क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा है?

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इमामे जुमआ और मजलिस उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद कलबे जवाद नकवी ने कहा कि हिजाब हमारी इस्लामी पहचान है और इस पहचान को खत्म करने या संदेह डालने के प्रयास किए गए हैं। कर्नाटक में जो हो रहा है बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। और यह निंदनीय है। हिजाब को वर्दी का हिस्सा बनाया जा सकता है क्योंकि हिजाब शिक्षा में बाधा नहीं है। सरकार और नफरत फैलाने वालों को पता होना चाहिए कि हिजाब के साथ शिक्षा प्राप्त करने में कोई समस्या नहीं है। हिजाब ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इसके लिए इतिहास का अध्ययन किया जा सकता है। साथ ही, मुसलमानों को अपनी पहचान के बारे में सतर्क रहना होगा क्योंकि जब कोई राष्ट्र अपनी पहचान खो देता है, तो वह मर जाता है। संभव है कि हिजाब के बाद यह मांग की जाए भविष्य मे स्कूलों और कॉलेजों में दाढ़ी के साथ प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। इन मांगों की कोई सीमा नहीं है। हमें कानून का सहारा लेना चाहिए और पूरी ऊर्जा के साथ अपने दृष्टि कोण को रखना चाहिए।

हिजाब का विरोध मानवीय मूल्यों और नैतिकता का विरोध है, भारतीय विद्वान
मौलाना कलबे जवाद नक़वी

मौलाना कलबे जवाद ने आगे कहा कि कर्नाटक में हिजाब के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है अब राजनीतिक रंग ले चुका है। बल्कि यह कहा जा सकता है कि हिजाब के खिलाफ राजनीति नफरत में बदल गई है। अन्यथा कालेज के कैम्पस मे छात्र भगवा गम्छा गले मे डाले हुए जय श्री राम के नारो क्यो लगा रहे थे? यदि कॉलेज परिसर में हिजाब पहनकर प्रवेश प्रतिबंधित है तो छात्रों को भगवा शॉल और कंबल के साथ प्रवेश करने से क्यों नहीं रोका गया या कॉलेज प्रशासन को यह कहना चाहिए कि वे सभी कॉलेज के छात्र नहीं थे।

सैयद कलबे जवाद नकवी ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा कि तथ्य यह है कि यह पूरे मामले को राजनीतिक रंग दे दिया गया है क्योकि इस प्रकार के मामलो को उठाने से कुछ लोगो को राजनीतिक लाभ पहुंचता है। हमारी सरकार को अच्छी शिक्षा और आदर्श शिक्षण संस्थानों के निर्माण पर ध्यान आकर्षित करना चाहिए । इस प्रकार के मुद्दे देश और राष्ट्र के विकास मे बाधाए उत्पन्न करते है।

प्रश्न: मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? इसका क्या निदान है?

तंज़ीमुल मकातिब के सचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी ने भारत में महिलाओं की शिक्षा के संबंध में तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर इशारा किया और कहा कि भारत में महिलाओं की शिक्षा के लिए निम्नलिखित मुद्दे महत्वपूर्ण हैं:

हिजाब का विरोध मानवीय मूल्यों और नैतिकता का विरोध है, भारतीय विद्वान
मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी

1- महिलाओ के लिए राष्ट्रव्यापी स्कूल कम से कम 6टी कक्षा और उससे ऊपर की कक्षाएं, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित करें जहाँ शिक्षा इस्लामी शिष्टाचार के साथ प्रदान की जाती है। खासकर मुस्लिम इलाकों में ऐसे स्कूल और कॉलेज खोले जाने चाहिए जहां हमारी बेटियां इस्लामिक हिजाब में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।

2- महिलाओं की संरचना से मेल खाने वाले तकनीकी कॉलेज

3- बोर्डिंग शैक्षिक शहरों में बोर्डिंग जहां दूर-दराज के गांवों की लड़कियां सुरक्षा और धार्मिक प्रशिक्षण के माहौल में शिक्षा प्राप्त कर सकें।

4- ऑनलाइन शिक्षा।

5- कौशल विकास केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए जहां महिलाओं की पसंद और क्षमता जैसे मीडिया, एनिमेशन, सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग आदि उनकी संरचना के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाता है।

6- केजी से 12वीं तक पार्ट टाइम धार्मिक शिक्षा दी जाए।

7- महिलाओं के लिए इस्लामी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम।

8- शादी से पहले और शादी के बाद काउंसलिंग करानी चाहिए ताकि रिश्ता बना रहे और घर और पारिवारिक जीवन शांत रहे।

प्रश्न: मुसलमानों को अपने अधिकारो को लेने के लिए क्या करना चाहिए और मुस्लिम महिलाओं को आप क्या संदेश देना चाहते हैं?

इस सवाल का जवाब देते हुए मुंबई में सेंटर फॉर रिसर्च ऑफ लाइफ के संरक्षक और काउंसिल ऑफ उलेमा ऑफ इंडिया के केंद्रीय अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद हुसैन मेहदी हुसैनी ने कहा कि इस समय पूरे देश में हिजाब के संबंध मे भ्रम की स्थिति है। यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन प्राचीन काल से इस हिजाब को महिलाओं की ज़ीनत माना जाता है। यदि मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनकर संसद और राज्य की सीटों पर बैठी हैं तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

हिजाब का विरोध मानवीय मूल्यों और नैतिकता का विरोध है, भारतीय विद्वान
मौलाना सैयद हुसैन मेहदी हुसैनी

मौलाना ने आगे कहा कि आज हमारे देश में ऐसे लोग हैं जो पूरी तरह से नग्न हैं, तो क्या इस शैली के खिलाफ कोई आवाज उठाई गई है? मुझे लगता है कि यह केवल चुनाव के देन है और चुनाव के समय में जब नफरत की राजनीति करने वाली सरकार अपनी हार महसूस कर रही है, उसने सोचा कि किसी भी मामले में हिंदुओं और मुसलमानों के वोटों को विभाजित कर दिया जाए और अपनी खोई हुई ताकत को पुनः हासिल कर लें, लेकिन अब जनता जागरूक हो चुकी है और जनता जाग गई है, तो निश्चय ही उसे यह अवसर नहीं मिलेगा, यदि वह सच्चाई से चुनाव लड़ती है।

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