۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
रहबर

हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,मिसाल के तौर पर दुआए नुदबा में जब हज़रत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम की ख़ासियतें बयान करना शुरू करते हैं तो उनके महान पूर्वजों और पवित्र ख़ानदान का ज़िक्र करने के बाद हम जो सबसे पहला जुमला कहते हैं वो यह हैं कहां है वह जो ज़ुल्म और दुश्मनी के ख़ातमे के लिए लोगों की उम्मीद का मकरज़ है?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,महदवीयत का सबसे अहम नारा इंसाफ़ क़ायम करना है। मिसाल के तौर पर दुआए नुदबा में जब हज़रत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम की ख़ासियतें बयान करना शुरू करते हैं तो उनके महान पूर्वजों और पवित्र ख़ानदान का ज़िक्र करने के बाद हम जो सबसे पहला जुमला कहते हैं वो ये है।

कहां है वो जो ज़ालिमों की जड़ काटने के लिए तैयार है? कहा है वो जिसके हाथों दुनिया के झगड़ों और बुराइयों के सुधार का इंतेज़ार है? कहां है वो जो ज़ुल्म और दुश्मनी के ख़ातमे के लिए लोगों की उम्मीद का मकरज़ है? (अलइक़बाल, पेज नंबर 297) मतलब ये कि इंसानियत इस इंतेज़ार में है कि वो मुक्तिदाता आए और ज़ुल्म को जड़ से ख़त्म कर दे और अत्याचार का, जो इंसानियत के इतिहास में अतीत से हमेशा मौजूद रहा है

और आज भी पूरी शिद्दत से मौजूद है, ख़ातमा कर दे और ज़ालिमों को उनकी औक़ात समझा दे। ये इमाम महदी का इंताज़ार करने वालों की, उनके ज़ुहूर से पहली दरख़ास्त है। या ज़ियारते आले यासीन में जब, आप उनकी विशेषताओं का ज़िक्र करते हैं तो उनमें से एक अहम ख़ासियत ये है कि वो ज़मीन को इंसाफ़ से उस तरह भर देंगे जिस तरह वो ज़ुल्म से भरी होगी। (कमालुद्दीन, जिल्द 1, पेज नंबर 287)

इंतेज़ार ये है कि वो पूरी दुनिया को, किसी एक इलाक़े को नहीं, इंसाफ़ से भर दें और हर जगह इंसाफ़ क़ायम कर दें। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के बार में जो हदीसें हैं, उनमें भी यही बात मौजूद है। इस लिए इमाम महदी का इंतेज़ार करने वालों की सबसे पहली आशा, पहले मरहले में इंसाफ़ हैं।

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