हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,जब आप ख़ुदा से चाहते हैं कि कोई ऐसा काम हो जाए जिसकी आपको ज़रूरत है तो दुआ के साथ अपनी ताक़त भी इस्तेमाल कीजिए।
मिसाल के तौर पर आप अपने अंदर काहिली महसूस करते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं कि ये एहसास ख़त्म हो जाए तो दुआ के साथ ही इरादे और संकल्प से भी काम लीजिए। यानी इस स्थिति में भौतिक और प्राकृतिक ज़रिया भी महत्वपूर्ण है और वह ज़रिया इरादा व संकल्प है।
कोई ये न सोचे कि हम घर में बैठ जाएं, कोशिश न करें, क़दम न बढ़ाएं, यहां तक कि इरादा भी न करें और सिर्फ़ दुआ करते रहें तो अल्लाह हमारी ज़रूरत पूरी कर देगा! नहीं! यह मुमकिन नहीं है। इस लिए दुआ के साथ ही मेहनत भी होनी चाहिए। कई बार बहुत सी कोशिशों का नतीजा नहीं निकलता लेकिन जैसे ही आप दुआ करते हैं, नतीजा मिल जाता है।