हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَمَا أَنفَقْتُم مِّن نَّفَقَةٍ أَوْ نَذَرْتُم مِّن نَّذْرٍ فَإِنَّ اللَّـهَ يَعْلَمُهُ ۗ وَمَا لِلظَّالِمِينَ مِنْ أَنصَارٍ वमा अनफ़क़तुम मिन नफ़क़तिन ओ नज़रतुम मिन नज़रिन फ़इन्नल्लाहा याअलमोहू वमा लिज जालेमीना मिन अंसार (बकरा 270)
अनुवाद: और जो कुछ तुम ख़र्च करो या मन्नत मानो, अल्लाह उसे जानता है और ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ अल्लाह ताला खर्च करने और देने की मात्रा और गुणवत्ता से वाकिफ है, भले ही वह महत्वहीन हो।
2️⃣ अल्लाह बंदों के छोटे से छोटे काम से वाकिफ रहता है।
3️⃣ अल्लाह तआला को देने और चढ़ाने की ओर प्रेरित करना, भले ही वह थोड़ा ही क्यों न हो।
4️⃣ अत्याचारी सभी प्रकार के समर्थकों से वंचित हो जायेंगे।
5️⃣ अल्लाह ख़र्च करने वालों और प्रतिज्ञाओं का पालन करने वालों का सहायक है।
6️⃣ मन्नतें देना और निभाना ही समाज में आपसी सहयोग और उसके विस्तार का कारण है।
•┈┈•┈┈•⊰✿✿⊱•┈┈•┈┈•
तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा
आपकी टिप्पणी