۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | बुद्धि के लिए तक़्वा को अपनाना आवश्यक है। हज अच्छे कर्म करने और आख़िरत हासिल करने की जगह है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफ़सीर; इत्रे क़ुरान: तफ़सीर सूर ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
الْحَجُّ أَشْهُرٌ مَّعْلُومَاتٌ ۚ فَمَن فَرَضَ فِيهِنَّ الْحَجَّ فَلَا رَفَثَ وَلَا فُسُوقَ وَلَا جِدَالَ فِي الْحَجِّ ۗ وَمَا تَفْعَلُوا مِنْ خَيْرٍ يَعْلَمْهُ اللَّـهُ ۗ وَتَزَوَّدُوا فَإِنَّ خَيْرَ الزَّادِ التَّقْوَىٰ ۚ وَاتَّقُونِ يَا أُولِي الْأَلْبَابِ  अलहज्जो अशहरुम मालूमातुन फ़मन फ़रज़ा फीहिन्नल हज्जा फला रफसा वला फ़ुसूक़ा वला जेदाला फिल हज्जे वमा तफअलू मिन खैरिय यअलमहुल्लाहो व तज़व्वदू फ़इन्ना ख़ैरज्जादित तक़वा वत्तकूने या ऊिल अलबाब (बकरा, 198)

अनुवाद: हज के लिए कुछ प्रसिद्ध निश्चित महीने हैं। अतः जो व्यक्ति इन (महीनों) में एहराम बांधकर हज का फर्ज अदा करे तो उसे हज के दौरान (अपनी पत्नी से) संभोग नहीं करना चाहिए। (ईश्वर की) अवज्ञा न करो और (किसी से) झगड़ा न करो और जो कुछ अच्छे कर्म करो, उसे ईश्वर जानता है, परहेज़गारी (पवित्रता) है। और हे बुद्धिमान पुरुष! मुझसे (मेरी अवज्ञा से) डरो।


क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣  हज में हर तरह की अवज्ञा वर्जित है।
2️⃣  हज ईश्वर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
3️⃣  सर्वशक्तिमान ईश्वर का ज्ञान सभी मानवीय कार्यों को कवर करता है।
4️⃣  अच्छे कर्म करने वालों को सर्वशक्तिमान ईश्वर की ओर से इनाम की गारंटी।
5️⃣  मनुष्य संसार में एक यात्री के समान है।
6️⃣  बुद्धि के लिए आवश्यक है कि  तक़वा अपनाया जाए।
7️⃣  हज अच्छे कर्म करने और आख़िरत हासिल करने की जगह है।

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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा

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