हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, यती नरसिंहनंद द्वारा पैगंबर मुहम्मद मुस्तफा (स) की शान में की गई अपमानजनक टिप्पणी बेहद निंदनीय और अस्वीकार्य है। उन्होंने जिस बेशर्मी से कहा है कि पैगंबर का पुतला फूंका जाना चाहिए, वह न केवल एक धर्म के प्रति घृणा की भावना को दर्शाता है, बल्कि यह हमारी सामाजिक और धार्मिक एकता को भी खतरे में डालता है।
क्या यह स्वतंत्रता का नाम है कि हम किसी भी धर्म के अनुयायियों की आस्था के साथ खिलवाड़ करें? इस प्रकार की भाषा और विचारधारा हमें न केवल धार्मिक असहिष्णुता ( भेदभाव) की तरफ़ ले जाती है, बल्कि हमारे देश की बहुलता को भी कमज़ोर करती है। इस्लाम में पैगंबर की शान का ख्याल रखना हर मुसलमान का फ़र्ज़ है, और ऐसे अपमानजनक शब्दों को बर्दाश्त करना किसी भी हाल में सही नहीं है।
हम सभी को यह समझना होगा कि पैगंबर मुहम्मद (स) की ज़िंदगी इंसानियत के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। उनके प्रति इस तरह की टिप्पणी करना एक शिक्षित और सभ्य समाज के लिए बेहद शर्मनाक है। हम इस प्रकार की कुत्सित सोच का पुरज़ोर विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि इस मुद्दे पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
हम इंसाफ़ पसंद हिंदू भाइयों से भी अपील करते हैं कि वे हमारे साथ इस अन्याय के खिलाफ खड़े हों। हमें एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाए, और ऐसे अपमानजनक बयानों का सामना करने के लिए हम दृढ़ रहें।
यह समय है जब हम अपनी आवाज़ उठाएं और धर्म के नाम पर होने वाले इस तरह के अत्याचारों के खिलाफ खड़े हों। हमारी मांग है कि नरसिंहनंद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी इस प्रकार की बेतुकी बातें कहने की हिम्मत न कर सके। वाज़ेह रहे कि ये पहले भी नफ़रती बयानों से देश और सरकार का नाम बदनाम कर चुका है।यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने पैगंबर की शान की रक्षा करें और समाज में अमन और शांति को बनाए रखें।