۲۷ آبان ۱۴۰۳ |۱۵ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 17, 2024
आगा

हौज़ा / जामिया मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रमुख ने कहा कि 7 अक्टूबर के बाद से इज़राइली हुकूमत की दरिंदगी और बर्बरता में लगातार इज़ाफ़ा हुआ है और आज इस बच्चों की क़ातिल हुकूमत के जुर्मों से दुनिया के आज़ादीपसंद इंसानों के दिल ज़ख्मी हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , जामिया मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम के सरबराह और मजलिस ए ख़ुबरेगान ए रहबरी के नायब चेयरमैन आयतुल्लाह सय्यद हाशिम हुसैनी बुशहरी ने छात्रो के एक जलसा से खिताब में बहादुर लेबनान और ग़ाज़ा के हादसों की ओर इशारा करते हुए कहा कि पिछले साल 7 अक्टूबर से उम्मत-ए-मुस्लिम को सख़्त हालात का सामना करना पड़ा है और तकरीबन 50 हज़ार बच्चे, औरतें, मर्द, बूढ़े और जवान, ग़ासिब और बच्चों की क़ातिल इज़राइली हुकूमत के ज़ुल्म से ख़ाकओ-ख़ून में ग़लतां हो चुके हैं।

ईरानी दीनी मदरसों की आला कौंसिल के सरबराह ने आगे कहा कि ऐसी कोई रात नहीं जाती जब ग़ासिब और दरिंदाखास ज़ायोनी हुकूमत ग़ज़ा पट्टी और लेबनान में बेदर्दी से क़त्ले आम नहीं करती हो और हज़ारों लोग हिजरत पर मजबूर हो रहे हैं।

इसलिए उम्मत ए मुस्लिेमा को चाहिए कि वह इत्तेहाद का मुज़ाहेरा करे और इन जुर्मों पर खामोश तमाशाई बनने के बजाय बैनुल अक़वामी सतह पर इनकी मज़म्मत करे।

उन्होंने यह भी कहा कि मुज़ाहेमत के महाज़ के अज़ीज़ों की शहादत खास तौर पर हिज़्बुल्लाह के अज़ीम और मुजाहिद क़ाएद सय्यद हसन नसरुल्लाह, सय्यद हाशिम सफीउद्दीन, शहीद इस्माईल हनीया, याहया अलसनवार और इस्लामी जम्हूरीए ईरान के निज़ामी मुशीर जैसे इस्लाम के अज़ीम सरदार नीलफरोशन और जाहिदी की शहादत ने इस्लामी मुज़ाहेमत के महाज़ को ग़मगीन कर दिया है। हम इंशाअल्लाह उनके मिशन पर कायम रहेंगे।

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