۶ آذر ۱۴۰۳ |۲۴ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 26, 2024
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हौज़ा / कायमशहर के फ़ातिमा ज़हरा मदरसा की शिक्षक ने कहा: "इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद फ्रांसीसी महिला ने बच्चों के लिए किताब लिखी।"

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, कायमशहर के फ़ातिमा ज़हरा मदरसे की शिक्षिक सुश्री सालेहा खलीली ने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के रिपोर्टर के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि इस शहर के विभिन्न स्कूलों के छात्रों की उपस्थिति के साथ एक समारोह आयोजित किया गया, जिसमे बच्चो की कहानी की किताब लिखने वाली लेखिका सुश्री क्लेयर सुमय्या जौबर्ट ने किताब पढ़ने का सप्ताह के अवसर पर बताया कि वह पहले ईसाई थीं और उन्होने इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद ईरान में बस गईं और बच्चों के लिए धार्मिक और नैतिक विषयों वाली कहानियाँ लिखना शुरू किया। 

उन्होंने इस कार्यक्रम मे छात्रों से बात करते हुए उनसे दो महत्वपूर्ण सिफारिशें की; पहला, जीवन के हर पल में अल्लाह को याद करना और अल्लाह से राबता बनाए रखे और दूसरा, किताबें पढ़ने को महत्व दे।

बच्चों की किताबें लिखने की उनकी प्रेरणा के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि उन्होंने बचपन में कई किताबें पढ़ीं और इस पढ़ने के लाभों के कारण दूसरों के लिए लिखने का फैसला किया। उन्होंने छात्रों को किताबें पढ़ने के अलावा लिखने की आदत को मजबूत करने के लिए हमेशा अपने साथ एक नोटबुक रखने की भी सलाह दी।

इस्लाम धर्म स्वीकार करने की प्रेरणा के सवाल का उत्तर देते हुए श्रीमती जौबर्ट ने कहा कि जब वह छोटी थीं तो वह अपने धार्मिक सवालों के जवाब तलाश रही थीं, लेकिन उन्हें ईसाई धर्म में ठोस जवाब नहीं मिल सके। लेकिन इस्लाम के बारे में जानकर, वह अपनी मानसिक चिंताओं का समाधान करने में सक्षम हो गई और इससे उन्हें इस्लाम में परिवर्तित होने पर गर्व हुआ।

उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का विद्यार्थियों द्वारा अच्छा स्वागत किया गया और उन्हें किताबें पढ़ने और धार्मिक और नैतिक मुद्दों के बारे में गहराई से सोचने के लिए प्रेरित किया और इस कार्यक्रम में सुश्री जौबर्ट की कहानियों पर आधारित एक कठपुतली शो भी किया गया।

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