हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत हुज्जतुल इस्लाम सैयद शुजाउद्दीन अबताही जो दारान शहर के इमामे जुमा ने हफ़्ता-ए-बसीज के अवसर पर फरीदन स्थित अलज़हेरा स.ल मदरसा में आयोजित एक बसीरती बैठक में भाग लिया।
उन्होंने इस्लामी क्रांति की रक्षा में बसीरत (दूरदर्शिता) के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि बसीज एक पवित्र वृक्ष (शजर-ए-तैयबा) है और इसका आदर्श शहीद हज कासिम सुलैमानी हैं।
उन्होंने 2 अज़ार 1367 ईरानी कैलेंडर को इमाम खुमैनी र.ह.के बयानों का हवाला देते हुए कहा, इमाम के सभी बयान कुरान और रिवायतों से प्रेरित होते हैं जबकि लिबरल विचारधारा के बयानों की जड़ें पश्चिमी संस्कृति में हैं और उनका कोई आधार कुरान या रिवायत में नहीं है।
दारान के इमामे जुमआ ने सूरह इब्राहीम की आयत 24 का संदर्भ देते हुए कहा,हज़रत इमाम खुमैनी रह. ने बसीज को एक पवित्र वृक्ष (शजर-ए-तैयबा) कहा जिसकी जड़ें कुरान में हैं। उनके अनुसार मुस्तज़फीन वे लोग हैं जो अगर बंधनों से मुक्त हो जाएं तो दुनिया के नेतृत्व की क्षमता रखते हैं शहीद हज कासिम सुलैमानी इसका एक उज्ज्वल उदाहरण हैं।
हज़रत अबताही ने अंत में इस्लामी क्रांति को आंतरिक और बाहरी खतरों की ओर चेतावनी देते हुए कहा,अहंकार और धन लोलुपता इस्लामी क्रांति की बड़ी आपदाएं हैं जो समूह इस सोच को फैलाते हैं वे दाइश और वहाबियत से भी अधिक खतरनाक हैं इसलिए इन्हें पूरी दूरदर्शिता के साथ पहचानकर इनका मुकाबला करना होगा।