हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मुजतबा फाज़िल ने कहां,अगर हम अपने मदरसों में ऐसी छात्राओं को तरबियत देने में कामयाब हो जाएं जो जिहाद ए तबीयिन के ज़रिए इस्लाम का बचाव करने में सक्षम हों तो यह दर्शाता है कि हमने इमाम मेहदी अ.ज. के हुकूमत ए करीमा के क़ियाम के लिए कोशिश की है और हमारी मेहनत सफल साबित हुई है।
हौज़ा ए इल्मिया-ए-ख़वाहेरान के निदेशक हुज्जतल-इस्लाम वल मुस्लिमीन मुजतबा फाज़िल ने ईरान के प्रांत गिलान में महिला मदरसों की चुनी हुई शिक्षिकाओं और छात्राओं के साथ आयोजित एक बैठक में कहा,यह स्पष्ट है कि अल्लाह पहले शिक्षक और इंसान के लिए पहला मार्गदर्शक है।
उन्होंने आगे कहा,अगर शिक्षकों का कार्य अल्लाह के काम की निरंतरता और उसकी शिक्षा व प्रशिक्षण के सिद्धांतों पर आधारित हो तो यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम ज़मीन पर अल्लाह के प्रतिनिधि होने का दावा कर सकें और उसके अस्मा ए हुस्ना को प्रकट कर सकें।
हौज़ा ए इल्मिया-ए-ख़वाहेरान के निदेशक ने कहा,हम अल्लाह के शिक्षक होने के गुण को अपनी शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से उजागर कर सकते हैं। यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि हम इस तरह एक ख़ुदाई मिशन को पूरा कर रहे हैं। इसलिए हौज़ा-ए-इल्मिया को इस्लाम की इज़्ज़त और बुलंदी के लिए अधिक प्रभावी और मज़बूत कदम उठाने चाहिए।
हुज्जतुल इस्लाम फाज़िल ने इमाम ए असर अ.ज. का ज़िक्र करते हुए दुआ का हवाला दिया,
'اللَّهُمَّ إِنَّا نَرْغَبُ إِلَیْکَ فِی دَوْلَةٍ کَرِیمَةٍ تُعِزُّ بِهَا الْإِسْلامَ وَ أَهْلَهُ وَ تُذِلُّ بِهَا النِّفَاقَ وَ أَهْلَهُ وَ تَجْعَلُنَا فِیهَا مِنَ الدُّعَاةِ إِلَی طَاعَتِکَ وَ الْقَادَةِ إِلَی سَبِیلِکَ'
ऐ अल्लाह! हमें वह समय देखने का मौक़ा दे जब इस्लाम और इसके अनुयायियों को इज़्ज़त मिले, नफ़ाक़ और इसके अनुयायी ज़लील हों, और हमें उन लोगों में से बना जो तेरी राह की दावत देने वाले और उसके मार्गदर्शक बनें।
उन्होंने सूरह अनफाल की आयत 'व अअिद्दू लहुम मा स्ततअ्तुम मिन क़ुव्वतिन...' का हवाला देते हुए कहा,यह आयत एक सांस्कृतिक संदेश भी देती है, जो हमें यह निर्देश देती है कि हर संभव ताक़त और साधन का उपयोग करके अल्लाह और अपने दुश्मनों को भयभीत करें।
सामाजिक मीडिया के प्रभाव पर बात करते हुए हुज्जतुल इस्लाम फाज़िल ने कहा,आज हम सोशल मीडिया से क्यों डरते हैं? क्यों कहते हैं कि यह हमारे घरों में मतभेद पैदा कर रहा है और हमारे धर्म को कमज़ोर कर रहा है? हमें यह डर अपने दुश्मनों के दिल में डालना चाहिए और ऐसे साधन विकसित करने चाहिए जो इन हमलों का डटकर सामना कर सकें।
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