हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,इस्फहान के इमाम ए जुमआ आयतुल्लाह सैयद यूसुफ तबातबाई नेज़ाद ने देश के रेड क्रीसेंट में प्रतिनिधि वली ए फकीह से मुलाकात के दौरान हालिया सीरियाई घटनाओं और अमेरिका तथा पश्चिम की वादाखिलाफी का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि पवित्र क़ुरआन यहूद और नसारा के वादों और समझौतों पर कायम न रहने की ओर इशारा करता है और फ़रमाता है।
کَیْفَ وَإِنْ یَظْهَرُوا عَلَیْکُمْ لَا یَرْقُبُوا فِیکُمْ إِلًّا وَلَا ذِمَّةً ۚ یُرْضُونَکُمْ بِأَفْوَاهِهِمْ وَتَأْبَیٰ قُلُوبُهُمْ وَأَکْثَرُهُمْ فَاسِقُونَ،
(तौबा, आयत 8)
इनसे कैसे किसी समझौते की उम्मीद की जा सकती है, जबकि यदि वे तुम पर हावी हो जाएं तो न किसी रिश्ते का ख्याल रखेंगे न ही किसी संधि का। वे अपनी बातों से तुम्हें खुश करने की कोशिश करेंगे लेकिन उनके दिलों में तुम्हारे लिए केवल दुश्मनी है और उनमें से अधिकतर फ़ासिक हैं।
उन्होंने आगे कहा,इसलिए उनकी दुश्मनी सौ प्रतिशत निश्चित है और वे कभी भी अपने वादों और समझौतों पर टिके नहीं रहते।
मुलाकात की शुरुआत में हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मुअज़्ज़ी ने सीरिया की गिरावट के कुछ आंतरिक कारणों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा,बशर अलअसद की सरकार के गिरने का प्रमुख कारण सीरियाई समाज की गरीबी थी। यह गरीबी विशेष रूप से दाइश (ISIS) के बाद बढ़ी पिछले 13 वर्षों से सीरियाई सरकार और सेना विभिन्न समूहों से युद्ध कर रही है।
हिलाल ए अहमर में वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि ने सीरियाई सेना की थकान और जनता के साथ न होने का उल्लेख करते हुए कहा,सीरिया का नक्शा ऐसा हो गया है कि इसके विभाजन की संभावना काफी अधिक है।
उन्होंने आगे कहा,जो समूह अब सीरिया में सत्ता में आया है वह इस्लामी होने का दावा करता है लेकिन वास्तव में उसकी सोच धर्मनिरपेक्ष और इस्लामी नहीं है।
उन्होंने लेबनान के लोगों की उच्च मनोबल और युद्ध की बर्बादी को दूर करने की क्षमता की सराहना करते हुए कहा,यहां तक कि पिजरह के घायल लोग अब भी घरों के पुनर्निर्माण में मदद कर रहे हैं। वे अपने घावों के बावजूद मानवीय और ईश्वरीय मूल्यों को प्रदर्शित कर रहे हैं।
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