हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिया उलेमा असेंबली ऑफ़ इंडिया ने पारा चिनार में चल रहे शिया नरसंहार और कराची में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सरकारी हिंसा की कड़ी निंदा की है। पूरा पाठ इस प्रकार है:
بِسْمِ اللہِ الرَّحْمنِ الرَّحِیْمِ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
۔۔۔ وَکُوْنَا لِظَّالِمِ خَصْماً وَّ لِلْمَظْلُوْمِ عَوْناً ۔۔۔ ...व कूना लिज़्ज़ालेमे खसमन व लिल मज़लूमे औना....
इमाम अली (अ) ने हसनैन (अ) से फ़रमाया: ज़ालिम के दुश्मन और मज़लूम के मददगार बनो (नहजुल बलाग़ा, ख़ुत्बा 47)।
कई महीनों से पाकिस्तान के पाराचिनार में तकफ़ीरी आतंकवादियों द्वारा मोमिनों का नरसंहार और उनकी घेराबंदी जारी है, जिसे रोकने में पाकिस्तान सरकार पूरी तरह से विफल रही है।
इस क्रूरता और अन्याय पर पाकिस्तान सरकार से निराश होकर पाकिस्तान के बहादुर और उत्साही विद्वानों ने विश्वासियों के साथ मिलकर विरोध की आवाज उठाई और अचानक पूरे पाकिस्तान में विरोध सभाएँ शुरू हो गईं, जिससे पाकिस्तान सरकार ने पाराचिनार के पीड़ितों को न्याय के बजाय, इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले विद्वानों, छात्रों और विश्वासियों के खिलाफ हिंसा शुरू कर दी, जिसमें हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सय्यद हसन जफर नकवी गंभीर रूप से घायल हो गए।
इस घिनौनी हरकत के जरिए पाकिस्तान सरकार ने दुनिया का ध्यान पाराचिनार से हटाने की कोशिश की है।
शिया उलेमा असेंबली ऑफ़ इंडिया ने कराची पुलिस द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार करने और पारा चिनार में तकफिरियों को खुली छूट देने के लिए सिंध सरकार और पाकिस्तान सरकार की कड़ी निंदा करती है और मांग करती है कि वे जल्द से जल्द पारा चिनार के विश्वासियों की घेराबंदी समाप्त करें। यथासंभव और तकफ़ीरीज़ आतंकवादियों को तुरंत सज़ा दी जानी चाहिए और इस संबंध में गिरफ्तार किए गए विश्वासियों को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।
शिया उलेमा असेंबली ऑफ़ इंडिया
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