हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन नासिर रफ़ीई ने हज़रत मासूमा सलामुल्लाह अलैहा के पवित्र हरम में भाषण करते हुए कहा कि माहे रजब माफी, रहमत और अल्लाह के करीब होने का महीना है इस महीने को तौबा तवस्सुल और बदलाव के लिए खास अहमियत दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस्लामी इतिहास की कई अहम घटनाएँ इन्हीं महीनों में घटी हैं जैसे कि रसूल-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वआलिहि वसल्लम की बअसत माहे रजब में कुरआन का नुज़ूल (उतरना) माहे रजब में और मुंजी-ए-आलम बशरियत (इमामे ज़माना) की विलादत माहे शाबान में हुई।
हुज्जतुल इस्लाम रफ़ीई ने इमाम बाकिर अलेहिस्सलाम की शख्सियत पर रौशनी डालते हुए कहा कि वे इबादत सामाजिक मामलों और राजनीतिक मैदान में एक मुकम्मल मिसाल थे उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अल्लाह की रज़ा को अहमियत दी और अपने मानने वालों को हमेशा अल्लाह के जिक्र से गाफिल न होने की ताकीद की।
उन्होंने कहा कि इमाम बाकिर अलेहिस्सलाम ने सामाजिक रिश्तों और उम्मत-ए-मुसलिमा के मामलों पर खास तवज्जो दी और अपने दौर के ज़ालिम हुक्मरान के हाथों शहीद हुए।
कासिम सुलैमानी की शहादत की बरसी के मौके पर उन्होंने कहा,शहीद सालार कासिम सुलैमानी तक़वा, इख़लास, अहले बैत अ.स. से मोहब्बत, तवाज़ो (नम्रता), ज़हानत (बुद्धिमत्ता), मज़बूत इंतेज़ामी सलाहियत (प्रबंधन क्षमता) और इनक़लाबी रूह (क्रांतिकारी भावना) के मालिक थे। उनकी शुजाअत (बहादुरी) और दुश्मन से बेख़ौफ़ी उनकी अहम खूबियों में शामिल थीं। वह दुश्मन के लिए एक बड़ी रुकावट थे इसलिए उन्हें अमेरिका के अभिशप्त राष्ट्रपति के हुक्म पर शहीद कर दिया गया।
आख़िर में उन्होंने शहीद कासिम सुलैमानी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे दीनदार अहले बैत के आशिक बहादुर, विनम्र और बेहतरीन प्रशासक थे उनकी जिंदगी इस्लाम और मुसलमानों की खिदमत के लिए वक़्फ़ थी और उनकी शहादत ने उनकी जद्दोजहद को और भी ज़िंदा कर दिया।
आपकी टिप्पणी