मंगलवार 23 दिसंबर 2025 - 07:20
माहे रजब इबादत व मग़फिरत का बेहतरीन महीना हैं

हौज़ा / मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी ने माहे रजब के आगमन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एक इंटरव्यू में कहा माहे रजब अल्लाह से अच्छा संबंध बनाने का महीना है माहे रजब दुआ मुनाजात और मग़फिरत का महीना है,इस माहीने में हमारे जीवन की सभी परेशानियाँ दूर होंगी।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हिंदुस्तान के मशहूर आलिमदीन और तब्लीग के फ़रायज़ अंजाम दे रहे हुज्जतुल इस्लाम तक़ी अब्बास रिज़वी से हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार की माहे रजब के मौके पर एक खुसूसी इंटरव्यू लिया गया इस मौके पर उन्होंने माहे रजब की फज़ीलत बयान करते हुए कहां,माहे रजब इबादत व मग़फिरत का बेहतरीन महीना हैं

विस्तृत इंटरव्यू इस तरह है:

हौज़ा न्यूज़ : सलाम अलैकुम मौलाना सहाब,आप के अनुसार माहे रजब का क्या महत्व है?
मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : वालैकुम सलाम, सबसे पहले तो मैं इस मुबारक अवसर पर सारे अहले इस्लाम, ख़ास तौर पर मुहब्बीन-ए-अहलेबैत अ.स.को मुबारकबाद पेश करता हूँ।माहे रजब ख़ुदा से बंदगी का रिश्ता मज़बूत करने का सबसे अच्छा महीना है। इसमें ख़ुदा से सीधे संपर्क बढ़ाने से जीवन की सभी परेशानियाँ दूर होती हैं।

हौज़ा न्यूज़ : मौजूदा दौर में मुसलमानों की परेशानियों का मूल कारण क्या है?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी :इसकी वजह ख़ुदा की इताअत से दूरी और कुरआन व अहल-ए-बैत अलैहिमुस्सलाम से सही तरह जुड़ाव न होना है।

हौज़ा न्यूज़ : हदीस के हवाले से माहे रजब में दुआ और अमल के संबंध में क्या कहते हैं?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : हदीस में बयांन किया गया है जो व्यक्ति सिर्फ़ दुआ करे और अमल न करे, वह ऐसा है जैसे बिना कमान के तीर चलाने वाला हो।

हौज़ा न्यूज़ : माहे रजब को ख़ुशियों के साथ कैसे गुज़ारने की ताक़ीद की गई है?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी :इस महीने में ख़ुशियाँ मनाने, नज़्र-ओ-नियाज़, मीलाद के कार्यक्रमों के साथ-साथ अपने चरित्र और बोल-चाल को सुधारने की भी सलाह दी गई है।

हौज़ा न्यूज़ : माहे रजब की कौन सी रात ख़ास अहमियत रखती है और उसे क्या कहते हैं?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : माहे रजब की पहली शुक्रवार की रात को "लैलतुर रग़ाइब" कहा जाता है, जिसके ख़ास आमाल व आदाब रिवायतों में बयान हुए हैं।

हौज़ा न्यूज़ : माहे रजब में कौन से दिन एतेकाफ़ के लिए मशहूर हैं?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : महीना रजब की 13, 14 और 15 तारीख़ (अय्याम-ए-बैज़) में एतेकाफ़ की सुन्नत अदा की जाती है, जो इस्लामी इबादतों में विशेष स्थान रखती है।

हौज़ा न्यूज़ : माहे रजब के हवाले से नौजवानों के लिए क्या पैगाम है?
जवाब:
मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी : माहे रजब इस्लाम के मुक़द्दस महीनों में से एक है, जिसे अल्लाह की रहमतों का महीना कहा गया है। आज के नौजवानों के लिए यह महीना ख़ुद को सुधारने, ग़लत आदतों को छोड़ने और अल्लाह से नज़दीकी बढ़ाने का बेहतरीन मौक़ा है। यह हमें याद दिलाता है कि असली कामयाबी तालीम के साथ-साथ अच्छे अख़लाक़ और मज़बूत किरदार में है।

हौज़ा न्यूज़ : बच्चों और किशोरों को माहे रजब में किन बातों पर ख़ास ध्यान देना चाहिए?

मौलाना तक़ी अब्बास रिज़वी :बच्चों और किशोरों को इस महीने में नमाज़ की पाबंदी, सच बोलना, माता-पिता का एहतेराम और बड़ों की बात मानने की आदत डालनी चाहिए। छोटे-छोटे अच्छे काम जैसे दुआ पढ़ना, किसी की मदद करना और ग़लत बातों से बचना, माहे रजब की असली रूह को ज़िंदा करता है।

हौज़ा न्यूज़ : धन्यवाद मौलाना साहब, आपके विचारों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला।

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