शनिवार 17 मई 2025 - 18:32
शहीद आयतुल्लाह रईसी एक जनप्रिय न्याय के प्रतीक मुजाहिद थे

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आगा तेहरानी ने शहीद रईसी की वैज्ञानिक, नैतिक और प्रबंधकीय विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहा कि जनप्रियता न्याय-प्रियता और उनकी विलक्षण फकाहत शहीद राष्ट्रपति रईसी की प्रमुख और उत्कृष्ट विशेषताएँ थीं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार:हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना मुर्तज़ा आगा तेहरानी, जो कि ईरान की संसद की सांस्कृतिक समिति (कमीशन) के अध्यक्ष हैं, ने आज दोपहर क़ुम स्थित हज़रत फातिमा मअसूमा (स.ल) मस्जिद में आयतुल्लाह सैय्यद इब्राहीम रईसी की शहादत की सालगिरह पर आयोजित समारोह में भाषण दिया।

आगा तेहरानी ने इस कार्यक्रम में शहीद आयतुल्लाह रईसी की विशेषताओं की ओर इशारा करते हुए कहा,शहीद रईसी की सबसे अहम विशेषताओं में से एक उनका धार्मिक ज्ञान और उनकी विद्वता थी। वे एक पढ़े-लिखे और मुज्तहिद फकीह थे, और यही विशेषता उनके न्यायपूर्ण और सूझबूझ भरे निर्णयों की बुनियाद थी।

संसद की सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष ने कहा،न्याय (अदल) शहीद रईसी का सबसे प्रमुख नैतिक गुण था। उनका न्याय हर आम व खास के बीच मशहूर था। वे जिस भी पद पर रहे, न्याय को हमेशा अपने फैसलों का केंद्र बनाया।

हुज्जतुल इस्लाम आगा तेहरानी ने जनप्रियत को भी शहीद रईसी की एक खास विशेषता बताया और कहा,मेरे विचार से, उनका मर्दमी होना उनके तलबगी (धार्मिक शिक्षा और सेवा) जीवन से जुड़ा था, क्योंकि एक तलबा से सबसे अहम अपेक्षा होती है कि वह जनता से घनिष्ठ संबंध रखे और उनकी समस्याओं को समझे। शहीद रईसी युवावस्था से ही जनता के साथ थे और हमेशा उनके बीच मौजूद रहते थे।

उन्होंने एक निजी मुलाक़ात का ज़िक्र करते हुए कहा,एक बार मैंने उनसे कहा कि यह खुदा की एक खास नेमत है कि आप हौज़ा ए इल्मिया में पढ़े हैं। आप एक मुज्तहिद हैं और आपको अपने इस इज्तेहाद का उपयोग अहम मौकों पर ज़रूर करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि संसद में एक गंभीर मतभेद के दौरान, जो कई घंटों तक चल सकता था शहीद रईसी ने अपनी फिकही सूझबूझ से उस मुद्दे को तुरंत सुलझा दिया।

आगा तेहरानी ने आगे कहा,राष्ट्रपति पद पर एक मुज्तहिद का होना एक दुर्लभ और अत्यंत मूल्यवान घटना थी। दुर्भाग्यवश कुछ जिम्मेदार पदों पर ऐसे लोग भी बैठे होते हैं जो इस्लाम की गहराई से परिचित नहीं होते और इससे कभी-कभी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

अंत में, उन्होंने विलायत-ए-फकीह की अहमियत पर बल देते हुए कहा,हमारे लिए एक मूलभूत सिद्धांत यह है कि 'वली-ए-फकीह की हम पर विलायत है लेकिन कुछ लोग ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे फकीह पर उनकी विलायत हो जबकि ये दोनों सोचें बिल्कुल अलग हैं।

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