हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत “अल-ख़ेसाल” पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیه السلام:
إنَّما يَأمُرُ بِالمَعروفِ و يَنهى عَنِ المُنكَرِ مَن كانَت فيهِ ثَلاثُ خِصالٍ: عامِلٌ بِما يَأمُرُ بِهِ و تارِكٌ لِما يَنهى عَنهُ، عادِلٌ فيما يَأمُرُ عادِلٌ فيما يَنهى، رَفيقٌ فيما يَأمُرُ و رَفيقٌ فيما يَنهی.
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने फ़रमाया:
अम्र बिल मारूफ और नही अज़ मुंकर उस व्यक्ति को करना चाहिए जिसमें ये तीन विशेषताएं हों:
1. आप वही करें जिस चीज़ का आदेश देते है।
2. जो मना करे, खुद भी उसको ना करे।
3 . उसे अपने आदेशों और निषेधों में न्यायालय को ध्यान में रखना चाहिए तथा आदेश देने और निषेध करने में सौम्य रवैया अपनाना चाहिए।
अल-ख़ेसाल: पेज 109 हदीस 79
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