हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित हदीस को "नहज उल-फसाहा" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال رسول الله صلی الله علی وآله وسلم:
مَن رَأى مِنکُم مُنکَرا فَلْیُغَیِّرْهُ بِیَدِهِ ، فإن لَم یَستَطِعْ فبِلِسانِهِ ، فإن لَم یَستَطِعْ فبِقَلبِهِ و ذلکَ أضعَفُ الإیمانِ
पैगंबरे खुदा (स.अ.व.व.) ने फ़रमाया:
तुम में से जो कोई बुराई (मुनकर) देखता है, तो उसे चाहिए कि वह उसे अपने हाथ से बदल दे, अगर वह ऐसा नहीं कर सकता है, तो उसे अपनी ज़बान से उसमे परिवर्तन लाए (अर्थात आपत्ति व्यक्त करे), और अगर ऐसा भी नहीं कर सकता है, तो अपने दिल से इनकार करे यह विश्वास की सबसे कमजोर अवस्था है।
नहज उल-फसाहा, हदीस 3010