बुधवार 12 फ़रवरी 2025 - 16:05
अहले बैत अलैहिस्सलाम से मोहब्बत एक मात्र रास्ता खुशहाली का है

हौज़ा / हज़रत वली ए अस्र स.ल. के प्रमुख ने अहले बैत अ.स. से मुहब्बत को ही पूर्णता और खुशहाली का एकमात्र रास्ता बताया हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मीरदमादी ने क़ुम में 15 शाबान की खुशियों के मौके पर आयोजित एक समारोह में मरहूम आयतुल्लाहिल उज़मा साफी गुलपाइगानी र.ह. की शैक्षिक प्रतिष्ठा को सलाम करते हुए कहा,मैं 1980 में जब क़ुम में था।

एक कम्युनिस्ट ने धर्म के खिलाफ एक किताब लिखी थी और मुझे यह देखकर बहुत तकलीफ हुई कि क़ुम में कोई ऐसा नहीं है जो इस छोटे से कम्युनिस्ट का जवाब दे सके यह बात आयतुल्लाह साफी तक पहुंची और उन्होंने कहा कि मैंने इस किताब का खंडन लिखा है लेकिन इसे संकलित करने का समय नहीं मिल रहा है।

फिर उनके लिखे गए नोट्स मुझे दिए गए और मैंने उन्हें संकलित किया और 10,000 प्रतियां प्रकाशित कीं जो लोगों में बांटी गईं।

उस्ताद ए हौज़ा ने आगे कहा माह-ए-मेंहदी अ.स. की बैठकें हक़ीक़त में हज़रत साहिब अलअमर अ.स.की तरफ़ ध्यान देने का ज़रिया हैं। उनका ध्यान रखना दरअसल ख़ुदा की तरफ़ ध्यान देने के बराबर है। इन सभाओं का मकसद तौहीद और ख़ुदा की पहचान है जो हज़रत मेंहदी अ.स. के जरिए होती है।

उन्होंने कुरान की आयत,
قُلْ هَٰذِهِ سَبِیلِی أَدْعُو إِلَی اللَّهِ ۚ عَلَیٰ بَصِیرَةٍ أَنَا وَمَنِ اتَّبَعَنِی ۖ وَسُبْحَانَ اللَّهِ وَمَا أَنَا مِنَ الْمُشْرِکِینَ.

यानी अमीरुल मोमिनीन अ.ल.से लेकर इमाम-ज़मान तक, सब तौहीद और अल्लाह की पहचान के भेजे गए हैं हमें समझना चाहिए कि कहीं और खबर नहीं है। फिलासफे और आरा का कोई मूल्य नहीं है, अगर कुछ है तो वह क़ुरआन और इतरेत (अहले बैत) से है। जो कुछ भी है वह यहीं है आज इमाम-ज़मान के घर में ही सारी खबरें हैं। हर व्यक्ति जो हिदायत और अल्लाह की पहचान में तरक्की चाहता है, उसे इस घर का दरवाजा खटखटाना होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों को हमेशा खोज और शोध की अवस्था में रहना चाहिए।मेंहदीवियत की दिशा और इमाम-ज़मान के प्रचार का उद्देश्य वही उद्देश्य है जो قُلْ مَا أَسْأَلُکُمْ عَلَیْهِ مِنْ أَجْرٍ إِلَّا مَنْ شَاءَ أَنْ یَتَّخِذَ إِلَی رَبِّهِ سَبِیلًا}
का हवाला देते हुए बोले कि क़ुरआन के एक अन्य स्थान पर कहा गया है।

उस्ताद ने आगे कहा,कुछ लोग कहते हैं कि यह एक तरीका है, इसका कोई वस्तुगत मतलब नहीं है जबकि मुवद्दत ही वह रास्ता है। अगर हम पैगंबर और उनके अहले बैत अलैहिसलाम से मुवद्दत न रखें तो हमें किस तरह का रास्ता मिलेगा?

उन्होंने यह भी कहा कि एक शुद्ध और पाक समाज वही है, जो मुवद्दत रखता हो खासकर इमाम-ज़मान अ.स. से एक तालिब-इल्म का काम केवल दुआए आल-यासीन तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें इन दुआओं को समाज में लाना चाहिए।

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