हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, शहर दीवंदरह के अहले सुन्नत इमामे जुमा मौलवी जलाल मुरादी ने शहदा ए मुक़ावमत (प्रतिरोध के शहीदों) की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में भाषण देते हुए शहीद सैयद हसन नसरल्लाह और शहीद सैयद हाशिम सफीउद्दीन के भव्य जनाज़े का ज़िक्र किया और कहा,शहीद सैयद नसरल्लाह, हनिया, सनवार, और सरदार मुक़ावमत हाजी क़ासिम सुलेमानी क़ुद्स के शहीद हैं जिन्होंने अपनी जानों का नज़्राना बैतुल मुक़द्दस (यरुशलम) की आज़ादी के लिए पेश किया।
उन्होंने और कहा,दुश्मन यह समझ रहा था कि इन महान शख्सियतों और नेताओं की शहादत से यह तहरीक (आंदोलन) कमजोर या खत्म हो जाएगी लेकिन दुनिया ने देखा कि ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ।
इमाम ए जुमा दीवंदरह ने कहा,शहदा ए मुक़ावमत की शहादत के बाद, मुक़ावमत का महवर और भी ताकतवर होकर सामने आया और खबीस ज़ायोनी राज्य को बातचीत पर मजबूर कर दिया।
मौलवी जलाल मुरादी ने कहा,ज़ायोनी राज्य ने मुक़ावमत की सभी शर्तों को स्वीकार कर लिया और यह इस मुक़ावमत की सबसे बड़ी कामयाबी है।
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