हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्माइल क़ाआनी जो कि ईरान की कुद्स फोर्स के कमांडर हैं ने कहां तीसरे क़ुरआनी महफ़िल-ए-अंस बिल क़ुरआन करीम और तीसरे क़ुरआनी नूर फ़ेस्टिवल में कहा कि इस साल क्षेत्र में प्रतिरोध के बढ़ने के कारण इस क़ुरआनी कार्यक्रम की मेज़बानी कुद्स फोर्स को मिली।
लेकिन वास्तव में प्रतिरोध (मुक़ावमत) हर मुसलमान की आत्मा का अभिन्न हिस्सा है क्योंकि यह अल्लाह के बुनियादी और स्पष्ट आदेशों में से एक है जिसे उन्होंने अपने पैग़ंबर को दिया।उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि यह अल्लाह का स्पष्ट निर्देश है और इसे छिपाया नहीं जा सकता।
क़ाआनी ने क़ुरआनी समारोहों और महोत्सवों के आयोजन के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों का होना बहुत अच्छा है लेकिन जब यह प्रतिरोध की भावना के साथ जुड़ जाता है तो इसका प्रभाव और अधिक गहरा हो जाता है।
उन्होंने आगे कहा,प्रतिरोध की सबसे बड़ी माँग एहदिना सिरातल मुस्तक़ीम’ ही है। हम बचपन से ही बड़े उलमा की संगति में रहे हैं और आज भी इस सभा में महान विद्वान मौजूद हैं। हमें ज़्यादा बोलने की आवश्यकता नहीं लेकिन यह कहना ज़रूरी है कि सच्चे मार्ग पर चलते रहना ही प्रतिरोध का असली परिणाम है।
क़ाआनी ने उदाहरण देते हुए कहा,एक इमारत तब तक सीधी और मज़बूत रहती है, जब तक उसमें प्रतिरोध की बुनियाद मज़बूत होती है। जैसे ही यह बुनियाद कमजोर होती है इमारत गिर जाती है। इसलिए अगर कोई इंसान सीधे रास्ते पर चलना चाहता है, तो उसे प्रतिरोध की ताकत रखनी होगी वरना वह सीधा नहीं रह पाएगा।
अंत में, क़ाआनी ने कहा,हम आशा करते हैं कि क़ुरआन की रौशनी से हम हमेशा प्रतिरोध के मार्ग पर चलें और इस मार्ग पर टिके रहें जब तक कि अंतिम मूल्यवान नेता इमाम मेहदी अ.स.का जुहूर न हो। हमें चाहिए कि हम क़ुरआन की छाया में इस प्रतिरोध को जारी रखें ताकि हम उनके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सकें।
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