हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, क़ुम के इमाम ज़ुमा आयतुल्लाह अली रजा आरफ़ी ने अपने ख़ुत्बे में कहा कि ईरानी क़ौम सम्मान और गरिमा के मार्ग पर है और किसी भी परिस्थिति में अभिमानी के सामने नहीं झुकेगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को किसी भी कीमत पर बातचीत के मुद्दे पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने शुक्रवार को अपने ख़ुत्बे में कहा कि वैश्विक अहंकार ने हमेशा दो रास्ते सुझाए हैं: या तो राष्ट्रों को पश्चिमी सभ्यता के आगे झुकना चाहिए और अपनी संप्रभुता खो देनी चाहिए, या उन्हें विनाश और बर्बादी के रास्ते पर डाल दिया जाना चाहिए। लेकिन इस्लामी क्रांति ने इन दोनों विचारधाराओं को चुनौती दी, सम्मान और दृढ़ता का रास्ता अपनाया और दुनिया को एक नया संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि ईरानी क़ौम ने शहीदों और इमाम खुमैनी के पदचिन्हों पर चलते हुए यह साबित कर दिया है कि वह न तो अहंकार के आगे झुकेगी और न ही अपनी भूमि और सम्मान का सौदा करेगी।
आयतुल्लाह आराफ़ी ने सैन्य और वैज्ञानिक विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि देश की रक्षा को हर समय मजबूत रखा जाना चाहिए, क्योंकि लापरवाही क़ौम की गरिमा के लिए घातक साबित हो सकती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को सार्वजनिक मुद्दों, विशेषकर अर्थव्यवस्था और वैज्ञानिक विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दुश्मन को यह नहीं सोचना चाहिए कि प्रतिरोध मोर्चा कमजोर पड़ गया है, बल्कि उसकी आग अभी भी मोमिनों के दिलों में जल रही है और उत्पीड़न के खिलाफ यह संघर्ष जारी रहेगा।
अपने पहले ख़ुत्बे में उन्होंने इबादत के महत्व को समझाते हुए कहा कि इस्लामी समाज में इबादत केवल एक व्यक्तिगत कार्य नहीं होनी चाहिए, बल्कि सामूहिक संस्कृति का हिस्सा होनी चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चों की धार्मिक शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि मुत्तक़ी और धार्मिक पीढ़ी विकसित हो सके।
क़ुम के इमाम जुमा ने अंततः इस बात पर जोर दिया कि ईरानी क़ौम इमाम खुमैनी और शहीदों के मार्ग का अनुसरण करेगा, प्रगति और धार्मिक मूल्यों की रक्षा करेगी, तथा विश्व के उत्पीड़ितों का समर्थन करना जारी रखेगी।
आपकी टिप्पणी