बुधवार 19 मार्च 2025 - 13:47
सीरिया के संकट को समाप्त करने का एकमात्र रास्ता सुल्ह और राष्ट्रीय एकता के प्रयास में है

हौज़ा / हौज़ा एल्मिया के प्रमुख ने कहा, मैं सभी सशस्त्र समूहों से आग्रह करता हूं कि वे इस्लामी और मानवीय सिद्धांतों का पालन करें और हर प्रकार के हिंसा और निर्दोष लोगों की हत्या से बचें इस नाज़ुक स्थिति में जब बड़ा शैतान अमेरिका और उसका अशुद्ध रूप से बनाया गया अवैध ज़ायोनी शासन वास्तविक इस्लाम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है सीरिया के संकट को समाप्त करने का एकमात्र रास्ता सुलह और राष्ट्रीय एकता के प्रयास में है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,हौज़ा इल्मिया के निदेशक आयतुल्लाह अली रज़ा अराफ़ी का बयान जारी किया हैं।

بسم اللہ الرحمن الرحیم

وَلا تَقْتُلُوا النَّفْسَ الَّتِي حَرَّمَ اللَّهُ إِلَّا بِالْحَقِّ وَمَنْ قُتِلَ مَظْلُومًا فَقَدْ جَعَلْنَا لِوَلِيِّهِ سُلْطَانًا فَلَا يُسْرِفْ فِي الْقَتْلِ إِنَّهُ كَانَ مَنْصُورًا (الإسراء: ۳۳)

इस्लाम जो जान, माल और मानवीय गरिमा की सुरक्षा पर बल देता है किसी भी स्थिति में निर्दोषों की हत्या को वैध नहीं ठहराता अल्लाह तआला ने कुरआन में स्पष्ट रूप से फ़रमाया,और किसी जान को जिसे अल्लाह ने हराम ठहराया है अन्यायपूर्वक मत मारो।(सूरह इसरा: 33)

यह आयत स्पष्ट रूप से हत्या की निषेधता पर जोर देती है विशेष रूप से निर्दोषों की हत्या की सख्त मनाही करती है। इस संदर्भ में आम निर्दोष नागरिकों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसक कार्रवाई, विशेष रूप से सीरिया में हो रही घटनाएँ इस्लामी शिक्षाओं का खुला उल्लंघन हैं।

तहरीर अलशाम जैसे सशस्त्र गुटों द्वारा सीरिया की जनता का नरसंहार न केवल इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है बल्कि यह मुस्लिम उम्मत में फूट डालने और इस्लामी समाज को क्षति पहुंचाने का भी कारण बन रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों जिनमें जिनेवा कन्वेंशन और नागरिक व राजनीतिक अधिकारों से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय समझौते शामिल हैं, के अनुसार निर्दोषों की हत्या और आम नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और निहत्थे लोगों के खिलाफ संगठित हिंसा सख्ती से निषिद्ध है।

जिनेवा कन्वेंशन के संयुक्त अनुच्छेद 3 के अनुसार, सभी युद्धों और सशस्त्र संघर्षों को अंतर्राष्ट्रीय मानवीय सिद्धांतों के अनुसार संचालित किया जाना चाहिए और आम नागरिकों पर हमले सख्ती से प्रतिबंधित हैं। इन सिद्धांतों का उल्लंघन, जैसा कि तहरीर अलशाम जैसे गुटों के कृत्यों में देखा जा सकता है, युद्ध अपराधों की श्रेणी में आता है और इसे अंतर्राष्ट्रीय अदालतों में कानूनी कार्रवाई के योग्य बनाया जा सकता है।

मैं सभी सशस्त्र गुटों से अपील करता हूँ कि वे इस्लामी और मानवीय सिद्धांतों का पालन करें और हर प्रकार की हिंसा और निर्दोषों की हत्या से बचें। इस संवेदनशील स्थिति में जब महाशैतान अमेरिका और उसकी नापाक साजिशों से बना अवैध ज़ायोनी शासन सच्चे इस्लाम को क्षति पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, सीरिया संकट का एकमात्र समाधान सौहार्द और राष्ट्रीय एकता की कोशिशों में निहित है।

इस्लाम का संदेश हमेशा शांति अमन और फूट को समाप्त करने का रहा है। इस्लामी आयतें और परंपराएँ हमें सिखाती हैं कि किसी भी युद्ध और संघर्ष का उद्देश्य शांति और सुरक्षा की स्थापना होना चाहिए न कि निर्दोषों का नरसंहार।

मैं सीरिया में हो रहे इस निर्मम नरसंहार पर गहरा शोक व्यक्त करता हूँ और इन अपराधों की कड़ी निंदा करता हूँ। साथ ही मैं सभी जागरूक और साहसी इस्लामी विद्वानों एवं अन्य धर्मों के नेताओं से अपील करता हूँ कि वे इस अवैध और गैर-शरीयत कृत्य की निंदा करें और इसके खिलाफ मजबूत रुख अपनाएँ।

मैं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और मानवाधिकार संगठनों से भी अपील करता हूँ कि वे सीरिया में हो रहे युद्ध अपराधों को रोकने के लिए गंभीर और व्यावहारिक कदम उठाएँ तथा मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले गुटों और ज़िम्मेदार लोगों को अंतर्राष्ट्रीय अदालतों में मुकदमे के लिए प्रस्तुत करें।

वस्सलाम, अली रज़ा आराफ़ी

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