सोमवार 21 अप्रैल 2025 - 08:11
क़यामत अभी मौजूद है; कोई भविष्य का वादा नहीं

हौज़ा /जहन्नम और जन्नत एक तरह की जांच-पड़ताल हैं। अगर जांच हो गई तो कोई यह नहीं कह सकता कि मैंने चुपके से मंजूरी दी; किसी से मत कहना या अब तुम हमारे दोस्त हो तो टैक्स कम कर दो! कोई बहुत भोला ही ऐसा कहेगा कि "अब किसी से मत कहना," इसका क्या मतलब है कि किसी से मत कहना?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह जवादी आमोली ने अपनी एक नैतिक शिक्षा की कक्षा में "क़यामत हाज़िर" के विषय पर चर्चा की, जो आपके समक्ष प्रस्तुत की जाती है।

पवित्र पैग़्बर मुहम्मद (स) ने फ़रमाया:

"जहन्नम और जन्नत आपसे आपके जूते की पट्टी से भी ज्यादा करीब हैं।"

इतने करीब हैं! इंसान जब तक सांस ले रहा होता है, समझ जाता है कि वह कहाँ है।

यहाँ तक कि जब उसका शव को ग़ुस्ल भी नहीं दिया गया होता, तब भी समझ आता है कि वह कहाँ है।

इससे पता चलता है कि यह सब बिलकुल सच है, नकद है, कर्ज़ नहीं।

जन्नत नकद है और जहन्नम भी नकद है

पैगम्बर (स) ने फ़रमाया कि यह आपके जूते की पट्टी से भी ज्यादा करीब हैं।

यह कोई उधार नहीं है।

कुरआन पाक में भी ऐसा नहीं कहा गया कि हम क़ियामत को बाद में बनाएंगे, नहीं, क़ियामत अभी मौजूद है।

फिर उस दिन क़यामत होगी।

फ़रमाया: "یوْمَ تَقُومُ السّاعَةُ यौमा तकूमु स्साआ"।

"السّاعَةُअस्साअतो"  अर्थात क़यामत।

यह अभी भी मौजूद है।

लेकिन जिस दिन को दिन-ए मआद कहा जाता है, उस दिन कहा जाता है कि अस्साअत है।

"یوْمَ یقُومُ النّاسُ لِرَبِّ الْعالَمینَ यौमा यकूमु न्नासु लिरब्बिल आलमीन" है।

"یوْمَ یقُومُ اْلأَشْهَادُ यौमा यकूमु अल-अशहादो" है।

"یوْمَ یقُومُ الرُّوحُ وَ الْمَلائِکةُ صَفّاً यौमा यकूमुर रूहु वल मलाइक़तु सफ्फा" है।

"یوْمَ تَقُومُ السّاعَةُ यौमा तकूमु स्साअतु" है।

तो यह अभी मौजूद है।

लेकिन उस दिन, जो अभी बैठा है, वह उठ खड़ा होगा।

इसलिए जन्नत और जहन्नम नकद हैं।

अगर नकद हैं तो कोई यह नहीं कह सकता कि मैंने चुपके से मंजूरी दी।

किसी से मत कहना या अब तुम हमारे दोस्त हो तो टैक्स कम कर दो!

कोई बहुत भोला ही ऐसा कहेगा कि "अब किसी से मत कहना।"

इसका क्या मतलब है कि किसी से मत कहना?

हवालाः दर्से अख़लाक 

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