हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम सैय्यद नूरुल्लाह अफशार ने नमाज़ ए जुमआ के दौरान अपने खुत्बे में कहा कि अहले सुन्नत के धार्मिक प्रतीकों का किसी भी तरह से अपमान करना शरई रूप से हराम है।उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह खामेनेई के फतवे का हवाला देते हुए कहा कि इस फतवे में अहले सुन्नत के प्रतीकों के अपमान को स्पष्ट रूप से हराम ठहराया गया है।
अफशार ने ईरान के BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, यूएई और ईरान) में शामिल होने को अमेरिकी प्रतिबंधों को कमज़ोर करने का एक बड़ा अवसर बताया उन्होंने कहा कि BRICS देश दुनिया की 45% अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं और ईरान इस संगठन के माध्यम से डॉलर-मुक्त व्यापार करके प्रतिबंधों का मुकाबला कर सकता है।
उन्होंने गाज़ा के मासूम बच्चों की दुर्दशा पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा,आज गाज़ा के बच्चे माँ की लोरियाँ और पिता का प्यार नहीं, बल्कि बम, गोलियाँ और धुआँ झेल रहे हैं। यह सियोनिस्ट जालिमों द्वारा रचा गया एक नरक है उन्होंने कहा कि गाज़ा के लोगों का हौसला अभी भी टूटा नहीं है और वे इस जंग में विजयी होंगे।
उन्होंने दहा-ए-करामत हज़रत फातिमा मासूमा (स.ल.) के जन्मदिन के अवसर पर मुस्लिम समाज की बेटियों को बधाई दी और कहा कि क़ुम शहर का उजाला हज़रत मासूमा (स.ल.) की वजह से ही पूरी दुनिया में फैला और यह शहर अहलेबैत (अ.ल.) के ज्ञान का केंद्र बना।
अफशार ने सुन्नी मुसलमानों के पवित्र प्रतीकों और पैगंबर मोहम्मद (स.ल.) की पत्नियों के अपमान को हराम बताते हुए कहा कि यह फतवा कुवैत के एक शिया धर्मगुरु यासिर अलहबीब द्वारा हज़रत आयशा (र.) के अपमान के बाद जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि यह फतवा सुन्नी-शिया एकता को मज़बूत करने में मददगार साबित होगा।
अफशार ने कहा कि वहाबियत और अंग्रेज़ी शिया वे शिया जो पश्चिम के हितों के लिए काम करते हैं) दोनों ही इस्लामी दुनिया में फितना फैलाने और धार्मिक नफरत बढ़ाने के लिए काम कर रहा हैं।
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