हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह रिवायत "ग़ेरर उल हिकम" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال أمیرالمؤمنین علیه السلام:
اَكرِمْ ضَیْفَكَ وَاِن كانَ حقیراً وَقُم عَن مَجلِسِكَ لِأِبیكَ وَمُعَلِّمِكَ وإنْ كُنتَ امیراً
अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अ) ने फ़रमाया:
अपने मेहमान का आदर करो, भले ही वह (तुम्हारी नज़र में) छोटा और सामान्य क्यो ना हो, और अपने पिता और टीचर के लिए आदर से खड़े हो जाओ, भले ही तुम एक शासक और राजा ही क्यो ना हो।
ग़ेरर उल हिकम, हदीस 2341
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