हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़्मा शुबैरी ज़ंजानी के कार्यालय ने एक बयान जारी कर शिया स्कूल के अकाइद को स्पष्ट करने तथा उनकी रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया है। बयान में खेद व्यक्त किया गया है कि एक ऐसे देश में जो अहले-बैत (अ) के स्कूल का अनुयायी है और अमीरुल मोमेनीन (अ) की विलायत का ध्वजवाहक है, कभी-कभी ऐसे अपमानजनक और भ्रामक बयान सामने आते हैं जो धर्म की बुनयादी अक़ाइद के अनुरूप नहीं होते हैं और धर्म के कुछ तथ्यों को या तो छिपाया जाता है या विकृत किया जाता है, जो इमाम अस्र (अ) के धन्य हृदय और अहले-बैत के शियो के दिलों को दुख से भर देता है।
बयान के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
1. ठोस मान्यताएँ:
इमामियाह शियो के अक़ाइद तर्कसंगत तर्कों, कुरआन की मोहकम आयतो, स्थापित इस्लामी तथ्यों, मुतावातिर हदीसों और कुछ सबूतों से सजी रिवायतो पर आधारित हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण अमीरुल-मोमिनीन अली इब्न अबी तालिब (अ) की मान्यता, इमामत और अटूट इच्छा है, जो धर्म और विश्वास का स्तंभ है।
2. सैय्यदा फातिमा ज़हरा (स) ने फ़रमाया:
मस्जिदे नबवी मे खुत्बा देते हुए, हज़रत ज़हरा (स) ने आइम्मा ए मासूमीन के अनुसरण को इस्लामी उम्माह की व्यवस्था और इमामत को एकता और सामंजस्य की गारंटी के रूप में घोषित किया।
3. वैज्ञानिक पूंजी और बौद्धिक विरासत:
शेख सदूक, शेख मुफीद, सय्यद मुर्तजा, शेख तुसी, अल्लामा हिल्ली, ख्वाजा तुसी और मीर हामिद हुसैन लखनवी जैसे महान शिया विद्वानों ने इन सिद्धांतों की व्याख्या की और उन्हें स्पष्ट किया और सटीक और तर्कपूर्ण कार्य छोड़े जो अहले बैत (अ) के स्कूल की सत्यता के स्पष्ट प्रमाण हैं।
4. विद्वानों और लेखकों की जिम्मेदारी:
विद्वानों, विचारकों और लेखकों का यह दायित्व है कि वे विश्वसनीय धार्मिक स्रोतों का उपयोग करके अहले-बैत की शिक्षाओं की व्याख्या करें, उनका प्रचार करें और उनका बचाव करें तथा विलायाह के पवित्र वृक्ष के उज्ज्वल तथ्यों को जनता के समक्ष स्पष्ट करें; क्योंकि अली (अ) की विलायाह के बिना सच्चा इस्लाम एक अर्थहीन टेम्पलेट है।
5. देशद्रोह से बचना और विश्वासों की रक्षा करना:
आइम्मा (अ) और विद्वानों ने हमेशा देशद्रोह से दूर रहने पर जोर दिया है, लेकिन मुसलमानों में देशद्रोह को प्रतिबंधित करने के साथ-साथ सच्चे विश्वासों को कमजोर करना भी एक अपूरणीय क्षति है।
6. दुखद स्थिति:
कार्यालय ने कहा कि यह दुखद है कि कुछ व्यक्ति या मंडलियां अपमानजनक बातें प्रसारित करती हैं या अहले-बैत (अ) की शिक्षाओं को तोड़-मरोड़ कर या छिपाकर कमजोर करती हैं, जो शिया राष्ट्र के लिए दुख का कारण है।
7. मीडिया की जिम्मेदारी:
मीडिया से कहा गया है कि वह ट्वेल्वर शिया की स्वीकृत मान्यताओं के प्रति अपने सतही रवैये को त्याग दे और धार्मिक विशेषज्ञों और विद्वानों की मदद से अपनी धार्मिक जिम्मेदारी को समझे तथा पिछली कमियों को दूर करे।
8. विद्वानों की चर्चा का द्वार खुला है:
बयान में इस बात पर जोर दिया गया है कि किताब और सुन्नत पर आधारित विद्वानों की चर्चा का द्वार हमेशा खुला है, जैसा कि आयतुल्लाहिल उज़्मा बुरूजर्दी (र) जैसे महान विद्वानों ने स्थापित किया है, और हौज़ा इन विद्वानों की चर्चा के लिए तैयार हैं।
आयतुल्लाहिल उज़्मा शुबैरी ज़ंजानी (मद) का कार्यालय
1 जि़लक़ादा 1446 हिजरी
आपकी टिप्पणी