हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, यह अनमोल वाक्य हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा बहजत कुद्दसा-सिर्रोह के अहले-बैत (अ) के गहन ज्ञान और उनके आध्यात्मिक आचरण में उनके प्रति प्रेम की महत्वपूर्ण भूमिका का सार है।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा बहजत कुद्दसा-सिर्रोह कहते हैं:
हमें अहले-बैत (अ) के प्रेम को कभी नहीं छोड़ना चाहिए, सब कुछ प्रेम में है, अगर हमारे पास कुछ है, तो वह इसी प्रेम से है।
स्रोत: बे सूय ए महबूब, पेज 122
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