शुक्रवार 2 मई 2025 - 21:02
जिसने भी अहलुल बैत (अ) का हक़ खाया है, वह उसे पचा नहीं पाया: मौलाना सययद रजा हैदर जैदी

हौज़ा/ लखनऊ की शाही आसिफी मस्जिद में जुमे की नमाज़ का ख़ुत्बा देते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सय्यद रजा हैदर जैदी, हौज़ा इल्मिया हज़रत गुफरान मआब के प्रिंसिपल ने हिंदुस्तान में औक़ाफ़ के मुद्दे पर कहा कि जिसने भी अहले बैत (अ) का हक़ खाया है, वह उसे पचा नहीं पाया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार मौलाना सय्यद रज़ा हैदर जैदी ने नमाज़ियों को तक़वा इख्तियार करने की सलाह देते हुए कहा कि मैं खुद को और आप सभी को तक़वा अपनाने की सलाह दे रहा हूँ। अल्लाह हम सभी को तक़वा की रौशनी हमेशा अपने दिलों में रखने, उससे डरने और यह एहसास करने की तौफ़ीक़ दे कि कोई ताकत है जो हमें देख रही है। मौलाना सय्यद रजा हैदर जैदी ने हाथ मिलाने की अहमियत बताते हुए कहा कि इमाम मुहम्मद बाकिर (अ) ने फरमाया: "हाथ मिलाना फ़रिश्तों की सुन्नत है।" फ़रिश्ते हमारी तरह खाते-पीते नहीं हैं, लेकिन हाथ मिलाते हैं।

मौलाना सय्यद रजा हैदर जैदी ने मुसाफ़ेहा करने और अभिवादन की अहमियत को और स्पष्ट करते हुए कहा कि इमाम मुहम्मद बाकिर (अ) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (स) ने फरमाया: "जब तुम अपने भाई से मिलो, तो उसे सलाम करो और उससे हाथ मिलाओ। अल्लाह ने हाथ मिलाकर फ़रिश्तों को सम्मानित किया है, इसलिए तुम भी वही करो जो फ़रिश्तें करते हैं।"

मौलाना सैय्द रजा हैदर जैदी ने एक रिवायत में कहा है कि जब दो मोमिन एक दूसरे से मिलते हैं, एक दूसरे को सलाम करते हैं और हाथ मिलाते हैं, तो अल्लाह की रहमत नाज़िल होती है।

उन्होंने मोमिनों के रहस्यों को उजागर करने की मनाही के बारे में कहा कि रिवायत है कि जब दो मोमिन एक दूसरे से बात करते हैं, तो अल्लाह फ़रिश्तों को उनसे दूर जाने के लिए कहता है। अल्लाह सब कुछ जानता है, लेकिन वह नहीं चाहता कि फ़रिश्ते भी ईमान वालों के रहस्यों को जानें। इसलिए ईमान वालों के रहस्यों को उजागर करना निंदनीय है और इससे बचना ज़रूरी है। मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने वक़्फ़ की हिफ़ाज़त के बारे में कहा कि जिस तरह हम अपनी संपत्ति की हिफ़ाज़त करने की पूरी कोशिश करते हैं, उसी तरह हमें इमाम हुसैन (अ) की संपत्ति यानी वक़्फ़ के बारे में भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, याद रखें कि जिसने अहले बैत (अ) का हक़ खाया है, वह उसे पचा नहीं सकता, चाहे वह कितनी भी नमाज़ पढ़े और अच्छे कर्म करे।

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