हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुहर्रम के पहले दस दिनों के सिलसिले में सदर इमामबारगाह जाफरिया अजाखाना (टोनबा, रोहतास जिला, बिहार) में हर रात 9 बजे मजलिस का सिलसिला जारी है। मौलाना जावेद हैदर जैदी इन सभाओं को “मवद्दत” शीर्षक के तहत संबोधित कर रहे हैं।।
मुहर्रम के छठे दिन की मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना जैदी ने कहा कि अहले-बैत (अ) के लिए मवद्दत केवल एक भावनात्मक लगाव नहीं है, बल्कि जीवन का एक व्यावहारिक तरीका है। कुरान में पैगम्बर (स) ने उम्मत के लिए अपने रिश्तेदारों की मोहब्बत को पैगम्बरी का अज्र बताया है और यही मोहब्बत निजात की गारंटी है।
उन्होंने सूरह शूरा की आयत की व्याख्या करते हुए कहा, "कहो, मैं तुमसे रिश्तेदारों के लिए मवद्दत के अलावा कोई अज्र नहीं मांगता" और स्पष्ट किया कि अहले-बैत (अ) के लिए मवद्दत का मतलब है उनकी आज्ञा पालन करना, उनके चरित्र के अनुसार काम करना और उनके सिद्धांतों पर चलना। सिर्फ शब्दों से मोहब्बत करना काफी नहीं है, बल्कि इस मोहब्बत की गवाही कर्मों से भी मिलनी चाहिए।" इस आध्यात्मिक समागम में पूरे क्षेत्र से बड़ी संख्या में हुसैनी अज़ादारी करने वाले शामिल हुए।
मजलिसो का सिलसिला दस दिनो तक जारी रहेगा और हर रात मौलाना जैदी अलग-अलग पहलुओं से "मोहब्बत" की कुरानिक, न्यायशास्त्रीय और नैतिक अवधारणाओं पर प्रकाश डालेंगे। गौरतलब है कि इस दशक का आयोजन दिवंगत सैयद महबूब हुसैन के परिवार द्वारा किया जा रहा है।
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