हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हज़रत इमाम अली बिन मूसा रज़ा अ.स. के दौर-ए-इमामत की सबसे अहम और उजागर ख़ूबी यह थी कि आपने इमामत और विलायत जैसे बुनियादी दीऩी मुद्दे को तमाम पहलुओं से आम जनता के सामने पेश किया, ताकि लोग गुमराही से बच सकें।
यह बात हुज्जतुल इस्लाम सादिकी वाइज़ ने इमाम रज़ा (अ.स.) के जश्न-ए-मीलाद और तुलबा की अमामा-गुज़ारी की रौशन और रुहानी तक़रीब में ख़िताब करते हुए कही।
यह तक़रीब हुसैनीया मरहूम आयतुल्लाहिल-उज़मा फाज़िल लंकरानी (रह.) क़ुम में मुनक्किद हुई जिसमें बहुत से उलेमा, असातिज़ा, फुज़ला, तुलबा और अहलेबैत (अ.स.) के चाहने वालों ने शिरकत की।
हुज्जतुल इस्लाम सादिकी वाइज़ ने इमाम रज़ा (अ.स.) की इल्मी और अख़लाक़ी सीरत पर रौशनी डालते हुए कहा कि हालांकि आपका ईरान, ख़ासकर ख़ुरासान की तरफ़ सफर अब्बासी हुक्मरानों की साज़िश का नतीजा था और यह सफर जबरी था, लेकिन यही हिजरत तशय्यु की ताक़त और शिया अफ़कार की तरवीज का सबब बना।
उन्होंने कहा कि इमाम रज़ा (अ.स.) ने उस दौर के सियासी व समाजी हालात को मद्देनज़र रखते हुए इबादात और अख़लाक़ से पहले "इमामत" जैसे उसूल-ए-दीन को अपना मौज़ू-ए-सुख़न बनाया और अपने इल्मी मुबाहिसों और मुकालमों में इसे ही मरकज़ी मक़ाम दिया। यही वजह है कि आपके दौर में इमाम अली (अ.स.) और हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) के फज़ाइल से मुताल्लिक सबसे ज़्यादा अहादीस बयान हुईं।
हुज्जतुल इस्लाम सादिकी वाइज़ ने आगे कहा कि इमाम रज़ा (अ.स.) ने मासूम इमाम की ख़ुसूसियात, अलामात और सिफ़ात को वाज़ेह फ़रमाया ताकि लोग हर दावेदार-ए-इमामत के धोखे में न आएं। आपने फ़रमाया कि आमाल की क़बूलियत की शर्त "विलायत" है, और यही बात आपने अपने अक़वाल और अफ़आल से उम्मत के सामने साफ़ कर दी।
उन्होंने कहा कि इमाम रज़ा (अ.स.) की इन्हीं कोशिशों का नतीजा था कि आपके पहले शिया मुख़्तलिफ गिरोहों में बंटे हुए थे, लेकिन आपके बाद शिया मज़हब के अंदर कोई नया फिरक़ा पैदा नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि आपने शिया मक्तब को नज़री इत्तेहाद (विचारधारा की एकता) अता की।
आख़िर में उन्होंने इमाम मुहम्मद तकी अलजवाद (अ.स.) के इस कौल की तरफ इशारा किया कि हज़रत फ़रमाते हैं इमाम रज़ा (अ.स.) की ज़ियारत का सवाब, इमाम हुसैन (अ.स.) की ज़ियारत से भी ज़्यादा है, क्योंकि सिर्फ़ असना अशरी शिया ही हज़रत रज़ा (अ.स.) की ज़ियारत करते हैं। यह बात भी आपके दौर-ए-इमामत की बरकतों में से एक है।
आपकी टिप्पणी