मंगलवार 13 मई 2025 - 18:57
स्वास्थ्य और रोगों का प्राकृतिक तंत्र एवं चिकित्सकों की मानवीय सेवाएँ

हौज़ा / स्वास्थ्य मनुष्य के जीवन की सबसे मूल्यवान पूँजी है। एक अच्छी सेहत न केवल व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत बनाती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक सुकून भी प्रदान करती है स्वास्थ्य का मतलब केवल बीमारियों से बचाव नहीं है, बल्कि यह एक संतुलित और सुखद जीवन की नींव है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,स्वास्थ्य मनुष्य के जीवन की सबसे मूल्यवान पूँजी है एक अच्छी सेहत न केवल व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत बनाती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक सुकून भी प्रदान करती है। स्वास्थ्य का मतलब केवल बीमारियों से बचाव नहीं है, बल्कि यह एक संतुलित और सुखद जीवन की नींव है। स्वास्थ्य का व्यक्ति के सामाजिक और आर्थिक जीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। एक स्वस्थ व्यक्ति न केवल अपने कार्य में अधिक सफल होता है, बल्कि वह सामाजिक संबंधों को भी बेहतर बना सकता है।

जब स्वास्थ्य बिगड़ती है, तो व्यक्ति को इलाज पर अधिक धन खर्च करना पड़ता है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। स्वस्थ शरीर में सोचने की क्षमता, कार्य करने की ऊर्जा और जीवन को बेहतर बनाने की लगन अधिक होती है। इसलिए स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि यही वह पूँजी है जो सफलता और खुशी की आधारशिला बन सकती है। स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क एक सफल जीवन के लिए अत्यावश्यक हैं।

बीमारियाँ केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी गहरे प्रभाव छोड़ती हैं। किसी एक व्यक्ति की बीमारी न केवल उसकी निजी जिंदगी को प्रभावित करती है, बल्कि पूरे समाज पर भी उसका नकारात्मक असर होता है। जब किसी व्यक्ति या समूह में बीमारी फैलती है, तो उसका सामाजिक नुकसान व्यापक और जटिल हो सकता है।

बीमारियाँ व्यक्ति के साथ-साथ उसके परिवार, मित्रों और समुदाय को भी प्रभावित करती हैं। सामाजिक नुकसान का मतलब केवल सीधे तौर पर बीमारी से नहीं होता, बल्कि बीमारी के कारण आने वाले सामाजिक बदलावों और समस्याओं से होता है। बीमारी के चलते रोजगार में कमी, रिश्तों में तनाव, मानसिक दबाव और समुदाय की समग्र प्रगति में रुकावटें आती हैं।

इन सामाजिक नुकसानों को कम करने के लिए हमें प्रभावशाली स्वास्थ्य नीतियों, जन जागरूकता और सामाजिक समर्थन व्यवस्था को मजबूत बनाना होगा, ताकि व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर बीमारियों के प्रभाव को कम किया जा सके।

इलाज ही वह मार्ग है जो इन सभी नकारात्मक प्रभावों को समाप्त कर सकता है। चिकित्सा व्यक्ति के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह व्यक्ति के स्वास्थ्य को पुनःस्थापित करने, बीमारियों से बचाने और शारीरिक व मानसिक शांति प्रदान करने का माध्यम है। एक प्रभावशाली उपचार न केवल बीमारियों को ठीक करता है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाता है।

इलाज का मुख्य उद्देश्य बीमारियों का उपचार करना, स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारना और जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखना है। यह दवाओं, सर्जरी या वैकल्पिक विधियों जैसे योग, आयुर्वेद, या मनोचिकित्सा के माध्यम से हो सकता है। चिकित्सा केवल व्यक्ति की सेहत तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसका सामाजिक प्रभाव भी बहुत बड़ा होता है।

जब लोग बीमारियों का इलाज कराते हैं, तो वे न केवल अपनी निजी जिंदगी में सुधार लाते हैं, बल्कि उनकी बेहतर स्वास्थ्य स्थिति समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है। इस प्रकार, चिकित्सा से व्यक्ति न केवल स्वयं को बेहतर बनाता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी सक्रिय बना रहता है।

इसलिए चिकित्सा मानव जीवन की एक मूलभूत आवश्यकता है। यह न केवल बीमारियों को दूर करती है, बल्कि व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्थिति को भी बेहतर बनाती है। चिकित्सा का महत्व केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी है। इसलिए हमें चिकित्सा की अहमियत को समझना चाहिए और इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए।

स्वास्थ्य की सुरक्षा और पुनःस्थापना के लिए विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग अपनी सेवाएँ देते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख और सम्माननीय वर्ग "चिकित्सकों" का है, जिसमें डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स, हकीम, वैद्य और अन्य चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल हैं। ये लोग मानवता के संरक्षक होते हैं जो बीमारियों, कष्टों और महामारी के विरुद्ध अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर मानव जीवन की रक्षा करते हैं।

जब चिकित्सक किसी बीमार व्यक्ति को ठीक करते हैं, तो वे वास्तव में सम्पूर्ण मानवता की सेवा कर रहे होते हैं। कुरआन की सूरह मायदा, आयत 32 में अल्लाह फरमाता है,और जिसने एक जान को बचाया, उसने मानो सारी मानवता को बचा लिया।

यह आयत स्पष्ट करती है कि इलाज करने वाले लोग जब किसी रोगी को जीवनदान देते हैं, तो वे मानवता की महान सेवा कर रहे होते हैं।

इस प्रकार चिकित्सक केवल रोगियों को जीवन की आशा ही नहीं देते, बल्कि सामाजिक स्थिरता का संदेश भी देते हैं, क्योंकि स्वस्थ समाज ही विकास की ओर अग्रसर हो सकता है, और यह बिना विशेषज्ञ चिकित्सकों के संभव नहीं है। यह वर्ग निरंतर सीखने, शोध करने और नई दवाओं एवं इलाज के तरीकों की खोज में लगा रहता है।

प्राकृतिक आपदा, युद्ध, महामारी या किसी बड़े हादसे में ये अपनी जान को जोखिम में डालकर दूसरों की रक्षा करते हैं। ये लोग अपनी नींद, आराम, यहाँ तक कि जान की कुर्बानी देकर भी मानवता को बचाते हैं। इन्हें "फ़रिश्ता-सदृश" कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं, बल्कि सच्चाई है। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी ने यह सिद्ध कर दिया कि इलाज करने वाले ही समाज और राष्ट्र के सच्चे नायक होते हैं।

इस प्रकार चिकित्सा का पेशा केवल सांसारिक नहीं, बल्कि एक पवित्र और आध्यात्मिक सेवा है, जो ईश्वर के कृपा का पात्र बनता है। रोगियों की सेवा, उन्हें दिलासा देना और उनकी दुआएँ पाना केवल चिकित्सकों के भाग्य में होता है। वे सेवा-भाव के द्वारा ईश्वर के समीप पहुँच सकते हैं। अतः चिकित्सक समाज की रीढ़ की हड्डी हैं। उनकी सेवाओं को सम्मान देना, उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना और उनके लिए सुविधा प्रदान करना समाज के हर व्यक्ति का दायित्व है, ताकि यह महान सेवा निरंतर जारी रह सके।

मैं सभी चिकित्सा विशेषज्ञों को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और अल्लाह से उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा, आजीविका में बरकत और इज्जत के लिए दुआ करता हूँ।

वस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातुह
लेखक : सैयद रज़ी ज़ैदी फंदेड़वी
इंटरनेशनल नो-माइक्रोफिल्म सेंटर, ईरान कल्चर हाउस, दिल्ली
एएमआर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट, दिल्ली

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