हौजा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, क़ुरआन के प्रसिद्ध् मुफस्सिर और शिक्षक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहसिन क़राती ने गोहरशाद मस्जिद में एकत्रित जामिया अल-मुस्तफा अल-अलामिया की महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि पवित्र कुरान हर इंसान के लिए सबसे अच्छा मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि आज के युग में लोग सत्य और सही मार्ग की तलाश में हैं और कुरान वह पुस्तक है जो हर पहलू में मनुष्य का मार्गदर्शन करती है।
कुरान को जीवन में शामिल करने की आवश्यकता
प्रसिद्ध कुरआन के शिक्षक ने विद्वानों और धार्मिक कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा कि केवल वे लोग जो धर्मपरायणता का अभ्यास करते हैं, वे कुरान की सच्ची शिक्षाओं को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कुरान सिर्फ किताबों की अलमारियों में रखने के लिए नहीं है, बल्कि इसे व्यावहारिक जीवन में लागू करने की जरूरत है।
आस्था: पारलौकिक वास्तविकताओं को स्वीकार करना
हुज्जतुल इस्लाम क़राती ने कहा कि दुनिया में ऐसी कई चीज़ें हैं जो दिखाई नहीं देतीं, लेकिन उनका प्रभाव ध्यान देने योग्य है, जैसे गुरुत्वाकर्षण। इसी प्रकार, ईश्वर और परलोक में विश्वास भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका प्रभाव जीवन में स्पष्ट दिखाई देता है।
ईश्वरीय न्याय और न्याय के दिन की बुद्धि
उन्होंने कहा कि इस दुनिया में हर व्यक्ति को उसके कार्यों का पूरा पुरस्कार नहीं मिल सकता, क्योंकि हर किसी की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं। क़यामत का दिन न्याय का दिन होगा, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों का सच्चा हिसाब दिया जाएगा।
नमाज़: अल्लाह के साथ मजबूत संबंध का एक स्रोत
नमाज़ के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल पूजा-अर्चना ही नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक विकास का साधन भी है। प्रार्थना से पापों की क्षमा और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
सामाजिक प्रगति के लिए मतभेद आवश्यक हैं
उन्होंने कहा कि मानव समाज में मतभेद और विविधता स्वाभाविक और आवश्यक हैं, क्योंकि ये ही विकास और सुधार की प्रक्रिया को बनाए रखते हैं। हर किसी की अपनी भूमिका है और समाज की बेहतरी के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
ज्ञान और जागरूकता: सफलता की कुंजी
शिक्षा के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सदैव सीखते रहना चाहिए, क्योंकि ज्ञान ही वह चीज है जो अज्ञानता को दूर कर प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है। आज के आधुनिक युग में विद्वानों को शोध और शिक्षा पर भी अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि वे धर्म और समाज की बेहतर सेवा कर सकें।
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