शुक्रवार 21 मार्च 2025 - 20:57
हज़रत अली अ.स. की स्वस्थ जीवनशैली

हौज़ा / हज़रत अली अ.स. का जीवन संतुलित आहार, व्यायाम और आध्यात्मिक व शारीरिक उपचार के सिद्धांतों का एक आदर्श नमूना था। आपने न केवल स्वास्थ्य और चिकित्सा से संबंधित ज्ञानवर्धक वचन कहे, बल्कि स्वयं भी एक अनुकरणीय जीवनशैली अपनाई आपके कथन और जीवनशैली आधुनिक चिकित्सा के सिद्धांतों से मेल खाते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,हज़रत अली अ.स. का जीवन संतुलित आहार, व्यायाम और आध्यात्मिक व शारीरिक उपचार के सिद्धांतों का एक आदर्श नमूना था। आपने न केवल स्वास्थ्य और चिकित्सा से संबंधित ज्ञानवर्धक वचन कहे, बल्कि स्वयं भी एक अनुकरणीय जीवनशैली अपनाई आपके कथन और जीवनशैली आधुनिक चिकित्सा के सिद्धांतों से मेल खाते हैं।

हज़रत अली अ.स. स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के महत्व को इस प्रकार व्यक्त करते हैं,स्वास्थ्य एक ऐसी नेमत (वरदान) है जिसका सही मूल्य केवल बीमारी के बाद समझ में आता है।यह भावार्थ कई हदीसों में मिलता है हालांकि ठीक यही शब्द प्रमाणिक पुस्तकों में नहीं मिलते। लेकिन हज़रत अली अ.स. का कथन है:
العافيةُ نِعمةٌ خفِيَةٌ إذا وُجِدَت نُسِيَت وإذا فُقِدَت ذُكِرَت.
अर्थात:स्वास्थ्य एक छिपी हुई नेमत है जब यह उपलब्ध होती है तो लोग इसे भूल जाते हैं और जब खो जाती है तो याद आती है। (ग़ेररूल हिकम, हदीस 9504)

संतुलित आहार और पोषण संबंधी सिद्धांत:

आपने संतुलित आहार के महत्व पर बल देते हुए कहा,अधिक भोजन से बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं और संयम स्वास्थ्य का रक्षक है।
हज़रत अली अ.स. ने फरमाया:
"إيّاكَ وَ كَثرَةَ الأكلِ، فإنَّهُ يَذهَبُ بِالنُّبْلِ، وَ يُبْطِئُ بِالفِطْنَةِ، وَ يُورِثُ الكَسَلَ۔"
अर्थात:अत्यधिक खाने से बचो, क्योंकि यह बुद्धि को नष्ट करता है, समझ को सुस्त कर देता है और शरीर में आलस्य पैदा करता है। (ग़ेररूल हिकम, हदीस 11132)

हज़रत अली अ.स. का भोजन बहुत सादा होता था। आप अक्सर जौ की रोटी और सिरका खाते थे। आपने फरमाया,जौ की रोटी पेट के लिए लाभदायक और बीमारियों को दूर करने वाली है।
(बिहारूल अनवार, खंड 66, पृष्ठ 405)

व्यायाम और परिश्रम का महत्व

स्वस्थ शरीर बनाए रखने के लिए आप परिश्रम और व्यायाम को आवश्यक मानते थे आपने कहा,मेहनत शरीर को ताकत देती है और आलस्य कमजोरी लाता है।
"الكسل يضر بالدين والدنيا"
अर्थात: "आलस्य धर्म और दुनिया दोनों के लिए हानिकारक है। (ग़ेररूल हिकम हदीस 10248)

रोगों की रोकथाम और उपचार:

आपने कहा,हर बीमारी का इलाज मौजूद है, बस समझने वाले की समझ और पहचान की जरूरत है।यह बात पैगंबर मुहम्मद स.अ. के कथन से भी मेल खाती है:
إن الله لم ينزل داءً إلا أنزل له شفاءً، علمه من علمه، وجهله من جهله.
अर्थात:अल्लाह ने कोई बीमारी नहीं उतारी, मगर उसका इलाज भी प्रदान किया है। जिसे इसका ज्ञान हो गया, हो गया, और जो इससे अज्ञान रहा वह अज्ञान ही रहा।" (सहीह बुख़ारी, हदीस 5678)

मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य:

आपने मानसिक स्वास्थ्य पर प्रकाश डालते हुए कहा,ईर्ष्या शरीर को इस तरह नष्ट कर देती है जैसे आग लकड़ी को जलाकर राख कर देती है।"
الحَسَدُ يَأكُلُ الإيمانَ كَما تَأكُلُ النّارُ الحَطَبَ
(नहजुल बलागा, हिकमत 38)

नींद और आराम के सिद्धांत:

आपने कहा,अत्यधिक सोना बुद्धि को नष्ट करता है और कम सोना शरीर को कमजोर बना देता है।
كَثرةُ النَّومِ تَكسِلُ عنِ العِبادَةِ، و تُقَسِّي القَلبَ، و تُورِثُ الفَقرَ.
अर्थात:बहुत अधिक सोना इबादत में सुस्ती लाता है, दिल को कठोर बना देता है और गरीबी को जन्म देता है।" (ग़ुरर अल-हिकम, हदीस 10617)

निष्कर्ष:इन वचनों से स्पष्ट होता है कि हज़रत अली अ.स. का जीवन स्वास्थ्य, संतुलित आहार, शारीरिक श्रम, परहेज, चिकित्सा और मानसिक शांति के सिद्धांतों पर आधारित था। यदि हम इन सिद्धांतों का पालन करें तो एक स्वस्थ, समृद्ध और सक्रिय जीवन जी सकते हैं।

इसलिए अच्छा स्वास्थ्य, खुशहाल जीवन और बेहतर समाज एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति ही सफल जीवन जी सकता है और एक मजबूत और विकसित समाज की नींव रख सकता है।"

हम अल्लाह से दुआ करते हैं कि हमें हज़रत अली अ.स. की सीरत पर चलने की तौफीक दे और उनके वारिस आखिरी हुज्जत के जुहूर में ताज्जिल फरमाए। आमीन।

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टिप्पणियाँ

  • Zaman IN 08:19 - 2025/03/22
    Bohut acha pegam he
  • Azmi ansari IN 10:19 - 2025/03/22
    Bohut bohut achi aartical he
  • Qasim Ali IN 10:22 - 2025/03/22
    Jazakallah hazrat kaynat ke imam hen Achy aqwal hen
  • Sani bhatya IN 12:09 - 2025/03/22
    Very good
  • Farman IN 13:51 - 2025/03/22
    Bohut umda