मंगलवार 20 मई 2025 - 12:08
अगर एक लम्हे के लिए भी तक़वे का दामन छूटा तो पतन की खाई में गिर जाएंगे

हौज़ा / तक़वा यानी एक इंसान का सब कुछ, एक पूरी क़ौम का लोक परलोक और इस लंबे रास्ते के लिए हक़ीक़ी ज़ादे राह जिसे तय करने पर हर इंसान मजबूर है, तक़वा यानी इस बात का ध्यान रहना कि हर वह कर्म जो आप कर रहे हैं वह उस मस्लेहत के मद्देनज़र हो जो अल्लाह ने आपके लिए मद्देनज़र रखी है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,तक़वा यानी एक इंसान का सब कुछ, एक पूरी क़ौम का लोक परलोक और इस लंबे रास्ते के लिए हक़ीक़ी ज़ादे राह (रास्ते के लिए ज़रूरी चीज़ें) जिसे तय करने पर हर इंसान मजबूर है।

तक़वा यानी इस बात का ध्यान रहना कि हर वह कर्म जो आप कर रहे हैं वह उस मस्लेहत के मद्देनज़र हो जो अल्लाह ने आपके लिए मद्देनज़र रखी है।

यह ठीक नहीं है कि कोई एक लम्हे के लिए भी तक़वे का दामन छोड़ दे। जो लोग परहेज़गार हैं जब उन्हें कोई शैतानी ख़याल छू भी जाए तो वे चौकन्ना हौजाते हैं और यादे इलाही में लग जाते हैं और उनकी बसीरत ताज़ा हो जाती है (और हक़ीक़त हाल को देखने लगते हैं)(सूरए आराफ़, आयत-201)

जब भी अल्लाह से डरने वाला परहेज़ागर आदमी शैतान केउकसावे को महसूस कर ले फ़ौरन चौकन्ना हो जाता है और होश व हवास में आ जाता है, शैतान तो हमको कभी नहीं छोड़ता।

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