हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अलमसीरा के हवाले से बताया कि अहमद अलतय्यब, शेख़ अलअजहर ने कहा कि सहायता पहुँचाने में रुकावट की वजह से एक विनाशकारी स्थिति पैदा हो गई है जो सीधे तौर पर लोगों की जान को ख़तरे में डाल रही है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस्राईली शासन द्वारा ग़ाज़ा की घेराबंदी जारी रखना अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है और यह एक पूरी तरह से अपराध है जिसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
अलतैय्यब ने यह भी कहा कि इस तरह की कार्रवाइयाँ उन मानवीय मूल्यों के विरुद्ध हैं जिन्हें सभी धर्मों ने समर्थन दिया है। उन्होंने वैश्विक समुदाय से अपील की कि वे केवल बयान जारी करने तक सीमित न रहें, बल्कि ग़ाज़ा की नाकेबंदी को ख़त्म कराने के लिए व्यावहारिक कदम उठाएँ।
अलअजहर ने एक बयान में सभी सीमाओं को खोलने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया ताकि चिकित्सा और खाद्य सहायता आसानी से पहुँचाई जा सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि यूरोपीय संघ और अन्य देशों द्वारा उठाए गए प्रारंभिक क़दम इस नाकेबंदी को समाप्त करने और ग़ाज़ा पट्टी में फंसे आम नागरिकों की जान बचाने की दिशा में एक शुरुआत बनेंगे।
इसके साथ ही अलअजहर ने उस घटना की भी निंदा की जिसमें इस्राईली सेना ने २५ यूरोपीय और अरब देशों के एक कूटनीतिक प्रतिनिधिमंडल पर हमला किया, जो पश्चिमी तट में स्थित जनीन शरणार्थी शिविर का दौरा कर रहा था।
शेख़ अलअजहर ने इस हमले को अस्वीकार्य व्यवहार और अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का गंभीर उल्लंघन बताया और कहा कि इस तरह की कार्रवाइयाँ क्षेत्र में तनाव को और भी ज़्यादा भड़का सकती हैं।
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