हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, अलमसीरा के हवाले से बताया कि अंसारुल्लाह यमन के राजनीतिक कार्यालय ने एक बयान में कहा,हम हिज़्बुल्लाह के महासचिव लेबनान की इस्लामी प्रतिरोधी ताक़त और वहाँ की जनता को प्रतिरोध और आज़ादी की 25वीं सालगिरह की बधाई देते हैं।
बयान में कहा गया है कि 25 मई 2000 को मिली यह जीत इस्राईली शासन की शर्मनाक हार का प्रतीक है और उसका दक्षिणी लेबनान से बाहर निकल जाना इसका प्रमाण है।
इस दिन इस्लामी प्रतिरोध की जीत अरब इस्लामी दुनिया और इस्राईली दुश्मन के बीच संघर्ष में एक रणनीतिक मोड़ था। हिज़्बुल्लाह के मुजाहिदों की इस जीत ने पूरे अरब और इस्लामी जगत में आत्मविश्वास को फिर से ज़िंदा किया, लोगों को अपनी ताक़त का एहसास कराया और संघर्ष के नियमों को बदल कर रख दिया।
अंसारुल्लाह ने कहा,हम हिज़्बुल्लाह और प्रतिरोधी आंदोलन से वादा करते हैं कि शहीद नेताओं, विशेष रूप से इस्लाम और इंसानियत के शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह के रास्ते पर चलते रहेंगें।
हम लेबनान और उसकी इस्लामी प्रतिरोधी ताक़तों के साथ एकजुट हैं और इस्राईली शासन द्वारा लेबनान की ज़मीन और संप्रभुता पर बार-बार किए जा रहे हमलों की कड़ी निंदा करते हैं।
बयान के अंत में अंसारुल्लाह ने लेबनानी जनता से अपील की,वे अपने इतिहास से सीख लें, क्योंकि लेबनान की असली ताक़त उसकी पाक और बहादुर प्रतिरोधी भावना में रही है और उस हथियार में जो इस्राईली दुश्मन के सामने एक संतुलन पैदा करता है।
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