शरई मसाइल
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शरई अहकामः
पति या पिता से बिना अनुमति के पैसा लेना
हौज़ा / इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने पति या पिता से बिना इजाज़त के पैसे लेने से संबंधित सवाल का जवाब है।
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शरई अहकामः
कब्र पर हज़रत अब्बास (अ) का अलम लगाना
हौज़ा / नजफ़ अशरफ़ के प्रसिद्ध आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज बशीर हुसैन नजफ़ी ने हज़रत अब्बास (अ) की कब्र पर अलम लगाने से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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शरई अहकामः
अय्याम-ए-फातिमिया (स) के रूप में कौन सा दिन मनाया जाना उपयुक्त है?
हौज़ा / इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने "अय्याम ए अज़ा ए हज़रत ज़हरा (स) के हुक्म का वर्णन किया है।
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शरई अहकामः
रक्त और शरीर के अंगों की खरीद-फरोख्त
हौज़ा / हज़रत अयातुल्ला मकारिम शिराज़ी ने "रक्त और शरीर के अंगों की खरीद-फरोख्त" के संबंध में एक सवाल का जवाब दिया।
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शरई अहकामः
नकद मूल्य से अधिक उधार मे खरीदने और बेचने का क्या हुक्म है?
हौज़ा / इस्लामिक क्रांति के नेता ने नकद मूल्य से अधिक उधार मे खरीदने और बेचने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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शरई अहकामः
नमाज़ और वुज़ू के संबंध में टैटू का क्या हुक्म है?
हौज़ा / यदि टैटू त्वचा के नीचे है, तो यह वुज़ू या ग़ुस्ल की वैधता को प्रभावित नहीं करता है [यह इसे बातिल नहीं करता है] और [टैटू] अपने आप में हराम नहीं है, जब तक कि यह अमान्य या हराम कार्य को बढ़ावा नहीं देता है।
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शरई अहकामः
बे पर्दा महिला की तस्वीर देखने का क्या हुक्म है?
हौज़ा / इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली ख़ामेनेई ने बे पर्दा महिला की तस्वीर देखने और टेलीविज़न में किसी महिला का चेहरा देखने से संबंधित पुछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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शरई अहकाम:
वाजिब और मुस्तहब नमाज़ों में तजवीद के क़वायद
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी के मुताबिक वाजिब (फर्ज़) और मुस्तहब (नफ्ल) नमाज़ों में तजवीद के नियमों का पालन करने का हुक्म।
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शरई अहकामः
वाजिब और मुस्तहब नमाज़ों में तजवीद के नियम
हौज़ा / "वाजिब और मुस्तहब नमाज़ों में तजवीद के नियम" के बारे में एक प्रश्न पर हज़रत आयतुल्लाह सिस्तानी ने उत्रर दिया है।
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शरई अहकाम:
क्या दूध पीने वाले बच्चे का पेशाब नाजिस है?
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई ने दूध पीने वाले शिशु के पेशाब के हुक्म के बारे में हुक्म को बयान किया है।
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शरई अहकामः
शेयर बाजार में शेयर खरीदना और बेचना
हौज़ा / विभिन्न कंपनियों आदि के शेयर खरीदने और बेचने में कोई समस्या नहीं है, बशर्ते कि प्रत्येक मामले में शरिया कानूनों का पालन किया जाए।
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शरई अहकामः
मजलिसों और महफ़िलो में हराम का पैसा लगाना
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी के फतवे के अनुसार, "हराम धन से किसी भी प्रकार का दान, धार्मिक खर्च करना जायज़ नहीं है। और यदि ऐसा धन किसी मजलिस या महफ़िल पर खर्च किया जाता है, तो यह अनुमति योग्य नहीं होगा।
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शरई अहकामः
ग़ैर महरम लोगों से सिले रहम का हुक्म?
हौज़ा / इस्लामिक क्रांति के नेता ने गैर-महरम लोगों के साथ सिले रहम से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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शरई अहकामः
क्या पबजी खेलना जायज़ है?
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली खामेनेई और आयतुल्लाहिल उज्मा सय्यद अली सिस्तानी के फतवे के अनुसार, किसी भी खेल या गतिविधि की शरिया स्थिति उसके प्रभावों और खेल में निहित संभावित बुराइयों पर निर्भर करती है।
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हर फिरौन के लिए एक मूसा का होना अवश्यक है
हौज़ा / हर ज़ालिम से लड़ने के लिए वक़्त का एक मूसा होता है, उसी तरह हर यज़ीद को रुसवा करने के लिए हर ज़माने में हुसैन का वास्ता रखने वाले भी होते हैं।
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शरई अहकामः
बैंक से उधार लेने का क्रम क्या है?
हौज़ा / शिया न्यायविदो के फतवे के अनुसार, बैंक से ऋण लेने का फैसला विभिन्न परिस्थितियों और शर्तों पर निर्भर करता है, और ब्याज की प्रकृति (रिबा) एक महत्वपूर्ण कारक है।
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शरई अहकामः
यदि चेहरा और हाथ धो रहे हैं; नीचे से ऊपर तक धोया जाए तो क्या वुज़ू बातिल हो जाएगा?
हौज़ा / अगर कोई जानबूझ कर अपना चेहरा और हाथ नीचे से ऊपर तक धोए तो उसका वुज़ू बातिल होगा।
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शरई अहकामः
अम्र बिल मारूफ़ के लिए हाकिमे शरआ की अनुमति के लिए आवश्यक अवसर
हौज़ा/ आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकारिम शिराज़ी से शरई सवाल पूछा कि ऐसे कौन से अवसर हैं जिनमें अम्र बिल-मारूफ और नहीं अनिल-मुनकर के लिए हाकिमे शरअ की अनुमति आवश्यक है और कोई व्यक्ति स्वयं कार्रवाई नहीं कर सकता?
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शरई अहकामः
अव्वले वक्त मे नमाज़ जमाअत के साथ पढ़ना महत्वपूर्ण है या अज़ादारी, मजालिस या जुलूसे इमाम हुसैन (अ) के बाद?
हौज़ा/अहले-लबैत (अ) केअनुयायियों के माध्यम से यह आवश्यक है कि वे पहले जमाअत के साथ नमाज अदा करने का प्रयास करें, क्योंकि कर्बला में उठाए गए सभी कष्ट और कठिनाइयाँ धर्म की स्थापना के लिए थीं।
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शरई अहकामः
महिलाओं की आवाज़
हौज़ा/ यदि कोई महिला नमाज़ में अपनी आवाज़ बुलंद करती है जबकि कोई गैर-महरम सुन रहा है और उसकी आवाज़ सुंदर और आकर्षक है, तो क्या उस स्थिति में उसकी नमाज़ बातिल होगी?
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हरम के अतराफ से ज़ियारत करना पढ़ना?
हौज़ा / अरबईन के दिनों में भारी भीड़ के कारण कुछ लोगों के लिए हरम ए इमाम हुसैन अ.स.और बैनुल हरमैन में दाखिल होना बहुत ही मुश्किल का काम है और बाज़ लोगों के लिए ना मुमकिन हो जाता है, और बाज़ औकात दूसरों को तकलीफ पहुंचाने का सबक बनता है, क्या इस सूरत में हराम के अतराफ से ज़ियारत पढ़ना किफायत करता है?
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शरई अहकामः
हरम म्यूजिक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से बनाई गई आवाज़ का हुक्म
हौज़ा / क्रांति के सर्वोच्च नेता ने एक सवाल के जवाब में "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा बनाई गई आवाज़" के बारे में बताया है।
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शरई अहकामः
कुछ अंजुमनो में ऐसे मसाइब सुनाए जाते हैं जो किसी भी प्रामाणिक "मक़तल" में नहीं पाए जाते। क्या उपरोक्त घटनाओं की इस प्रकार नकल करना सही है? और अगर ये सही नहीं है तो सुनने वालों की जिम्मेदारी क्या है?
हौज़ा/ जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, बिना किसी प्रामाणिक परंपरा या सिद्ध ऐतिहासिक स्रोत के घटनाओं को उद्धृत करने की कोई शरीयत स्थिति नहीं है, यदि कथन वर्तमान स्थिति से उद्धृत किया गया है और उसकी मिथ्याता ज्ञात नहीं है, तो इसे उद्धृत करने में कोई समस्या नहीं है क्या नहीं है।
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शरई अहकामः
पुरुषों के लिए अहले-बैत (अ) की मजलिस में गैर-महरम महिलाओं के रोने की आवाज सुनने का क्या हुक्म है?
हौज़ा | जब तक इसमें कोई बुराई या भ्रष्टाचार न हो तब तक इसमें कोई बुराई नहीं है।
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शरई अहकामः
क्या मजलिस मे मरसिया और नौहा पढ़ रही औरत के लिए यह जायज़ है कि वह अपनी आवाज़ किसी ग़ैर मर्द को सुनाए? और क्या किसी पुरुष के लिए इसे सुनना जायज़ है?
हौज़ा / यदि आवाज़ में सूक्ष्मता, सुंदरता, संरचना और उत्तेजना नहीं है, तो एक महिला के लिए अपनी आवाज़ सुनाना जायज़ है, हालांकि, एक पुरुष के लिए उसकी आवाज़ सुनना जायज़ है जब वह कामुक नहीं हो
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शरई अहकामः
यदि मजलिस में भाग लेने से कुछ वाजेबात छूट जाते हो, तो क्या किसी को ऐसी मजलिस में भाग नहीं लेना चाहिए या इन मजलिसों में भाग न लेना अहले-बैत (अ) से दूरी का कारण है?
हौज़ा/ यह स्पष्ट है कि वाजिब नमाज अहले-बेत (अ) की मजलिस में भाग लेने से पहले है, और मजलिस में भाग लेने के बहाने नमाज को छोड़ना स्वीकार्य नहीं है। लेकिन इस तरह से भाग लेना संभव है कि नमाज का कोई विरोध न हो।
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शरई अहकाम:
क्या अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम के फ़ज़ायल और मसाइब बयांन करने के लिए ज़ाकिर कीमत तय सकता हैं?
हौज़ा / उजरत(कीमत) निर्धारित करने में शरीयत के एतबार से कोई इश्काल नहीं हैं, लेकिन यह काम ज़ाकिरे अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम कि जिन्हें तकवा और पारसाई का मज़हर होना चाहिए उनकी शान के मुनासिब नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
अज़ादारी और दूसरे मज़हबी कामों में रियाकारी करना?
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराज़ी से फिक्ही सवाल और उसके जवाब
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शरई अहकामः
क्या मजलिसो मे ``या अली मदद'' कहना या ``नारा ए हैदरी'' लगाना जायज़ है?
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से पूछा गया सवाल और उसका जवाब: क्या मजलिसो में "या अली मदद" कहना या "नारा ए हैदरी" लगाना जायज़ है?
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शरई अहकाम:
मैं जानती हूं मेरा शौहर राज़ी हैं
हौज़ा / अगर कोई औरत जानती हो कि उसका शौहर घर के बाहर जाने से राज़ी है काफी है या ज़ाबानी इजाज़त लेना ज़रूरी है?