शरई मसाइल
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शरई अहकाम:
अगर सुन्नी मर्द शिया औरत को अपने मज़हब के मुताबिक तिलाक दे तो क्या कोई शिया उसके साथ शादी कर सकता है?
हौज़ा / अगर उसने अपने मज़हब के मुताबिक सही तिलाक दिया है तो इद्दत पूरी होने के बाद कर सकता हैं।
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शरई अहकाम:
क्या एक इमाम ए जमाअत दो मर्तबा (दो गिरोहों के लोगों) नमाज़ ए आयात के लिए इमामत कर सकता है?
हौज़ा / एहतयाते वाजिब की बिना पर नहीं कर सकता हैं।
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शरई अहकाम:
क्या नज़्र को पूरा करना वाजिब हैं?
हौज़ा / अगर कोई आदमी नज़्र माने लेकिन उस नज़्र की मशक्कत (कठिनाई)का इल्म ना रखता हो और नज़्र मानने के बाद उसे इस काम की मशक्कत का एहसास हो तो क्या उसे नज़्र को पूरा करना वाजिब है या नहीं?
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शरई अहकाम:
उस आदमी का क्या हुक्म हैं कि जो वुज़ू करने के बाद श़क करें कि उससे वुज़ू का कोई हिस्सा छुट गया है?
हौज़ा / अगर इसे यह तो मालूम हो कि कुछ भूल गया है मगर यह न जानता हो कि वह( जुज़) हिस्सा वाजिब था या मुस्तहाब था, तो उसका वज़ू सही शुमार होगा।
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शरई अहकाम:
क्या माता-पिता बालिग़ बच्चों पर हिजाब के लिए जबरदस्ती कर सकते हैं?
हौज़ा / इन्हें हक़ है लेकिन मारपीट नहीं सकते।
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शरई अहकाम:
अपनी पसंद की लड़की से शादी करने पर इसरार करना अगर माता-पिता की नाराज़गी का सबाब हो तो क्या इन्हें नाराज़ करके उनकी मर्जी के बगैर शादी करना जायज़ हैं?
हौज़ा / इनका नाराज़ होना अगर शफक़त और मोहब्बत की वजह से है तो उनका विरोध करना जायज़ नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
क्या माता-पिता बच्चों को गाना सुनने और दाढ़ी मुंडवाने से रोक सकते हैं?
हौज़ा / हां रोक सकते हैं बल्कि अगर नही अनिल मुनकर कि शर्तें मौजूद हो तो रोकना वाजिब है।
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शरई अहकाम:
क्या किसी ना महरम के साथ लिफ्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि उस वक्त कोई तीसरा आदमी मौजूद न हो मगर इंसान को खुद पर इत्मीनान हो कि किसी हरम में मुफ्तीला नही होगा?
हौज़ा / अगर इसे इत्मीनान हो कि किसी हराम में जैसे नज़रे हराम या लम्स वगैरह में मुब्तीला ना हो तो जायज हैं।
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शरई अहकाम:
अगर कोई कई साल बीमार रहने के बाद ठीक हो, तो क्या पिछले सारे रमज़ान के रोज़ों की कज़ा वाजिब हैं?
हौज़ा / अगर इंसान की बीमारी कुछ वर्षों तक रहती है, तू ज़रूरी है कि ठीक होने के बाद आखरी रमज़ान उल मुबारक के छूटे हुए रोज़ो की कज़ा बजा लाए और इससे पिछले वर्षों के रोज़े के बदले एक मुद(750ग्राम) खाना फकीर को दें।
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शरई अहकाम:
रोज़े की हालत में आंख में दवा डालना और सुरमा लगाना कैसा हैं?
हौज़ा / रोज़े की हालत में आंख में दवा डालना और सुरमा लगाना जबकि उसका मज़ा या बू हल्क तक पहुंचे तो मकरूह हैं।
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शरई अहकाम:
जिसके ऊपर ग़ुस्ल मसे मैय्यत वाजिब हो क्या वह बिना गुस्ल किए रोज़ा रख सकता हैं?
हौज़ा / जिस शख्स ने मैय्यत को मस किया हो,यानी अपने बदन का कोई हिस्सा मैय्यत के बदन से छुआ हो)वह ग़ुस्ल मसे मैय्यत के बगैर रोज़ा रख सकता है और अगर रोज़े की हालत में भी मैय्यत को मस करें तो उसका रोज़ा बातिल नहीं होता।
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दिन की हदीस:
क्या सर को पानी में डुबोने से रोज़ा बातिल हो जाता है?
हौज़ा / सर पानी में डुबोने से रोज़ा बातिल नहीं होता है लेकिन शदीद मकरूह हैं।
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शरई अहकाम:
अगर कोई आदमी किसी की बात के बारे में यक़ीन रखता हो कि वह वाकई कौले ख़ुदा या कौले पैगंबर स.ल.व.नहीं है और इसे अल्लाह ताला या रसूल अल्लाह स.ल.व. से मनसुब करें तो क्या उस से उसका रोज़ा बातिल हो जाएगा?
हौज़ा / अगर इस बात का यकीन हो कि कौले खुद और रसूल नहीं है और उनसे मंसूब करें तो उस सूरत में उसका रोज़ा बातिल हो जाएगा।
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शरई अहकाम:
अगर कोई इंसान सेहरी कर रहा हो और इसे मालूम हो जाएगी की आज़ान सुबह हो गई है तो उस सूरत में क्या हुक्म हैं?
हौज़ा/अगर इसे मालूम हो जाएगी कि सुबह हो गई है तो ज़रूरी है कि मुंह के लुक्में (निवाला) को ऊगल दे और अगर जानबूझकर वह लुक्में (निवाला) को निगाल ले तो उसका रोज़ा बातिल है और उस पर कफ़्फ़ारा भी वाजिब है।
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शरई अहकाम:
जो आदमी रोज़ा रखना चाहता है क्या उसके लिए खेलाल करना ज़रूरी हैं?
हौज़ा/जो आदमी रोज़ा रखना चाहता हो उसके लिए आज़ाने सुबह से पहले दांतों में खेलाल करना ज़रूरी नहीं है, लेकिन अगर इसे ज्ञान हो कि जो खाना दातों के दरमियान में रह गई है वह दिन के वक्त पेट में चली जाएगी तो खेलाल करना ज़रूरी हैं।
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शरई अहकाम:
क्या इंसान छोटी-मोटी कमज़ोरी की वजह से रोज़ा छोड़ सकता हैं?
हौज़ा / इंसान मामूली कमज़ोरी की वजह से रोज़ा नहीं छोड़ सकता लेकिन अगर कमज़ोरी इस हद तक हो कि बर्दाश्त ना हो सके तो फिर रोज़ा छोड़ने में कोई हाई नहीं है।
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दफतरे नुमायंदगी हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली सिस्तानी लखनऊ की तरफ से शरई सवालों के जवाबात की खिदमात पूरे साल जारी
हौज़ा / उत्तर प्रदेश लखनऊ,दफतरे नुमायंदगी आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली हुसैनी सीस्तानी द०ज़ि० लखनऊ की तरफ से अमीरुल मोमिनीन इमाम अली अ०स०के यौमे विलादत (पैदाइश) 13 रजब 1444 हिजरी को मोमिनीन खासतौर से मरजा ए आला ए दीनी आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली हुसैनी सीस्तानी द०ज़ि० के मुक़ल्लेदीन की सहूलत के लिए शरई सवालों के जवाब की खिदमात जारी हैं।
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शरई अहकाम:
जिस आदमी को भरोसा हो कि रोज़ा रखना उसके लिए हानिकारक नहीं है, वह रोज़ा रख ले और बाद में उसे पता चले कि रोज़ा रखना उसके लिए हानिकारक था तो क्या हुक्म है?
हौज़ा / जिस आदमी को भरोसा हो कि रोज़ा रखना उसके लिए हानिकारक नहीं है, वह रोज़ा रखले और मग़रिब के बाद इसे पता चले की रोज़ा रखना उसके लिए ऐसा हानिकारक था कि जिसकी परवाह की जाती तो( एहतेयात ए लाज़िम) की बिना पर उस रोज़े की कज़ा करना ज़रूरी है।
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शरई अहकाम:
हराम गोश्त जानवर के अज्ज़ा से बनी हुई क्रीम का इस्तेमाल
हौज़ा / ऐसी क्रीम या साबुन और इन जैसी दूसरी चीजों का इस्तेमाल करना कि जिम में हराम गोश्त मछली के अज्ज़ा शामिल हो क्या हुक्म रखता है?
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शरई अहकाम:
मोमिन का खुद अपने को ज़लील करना शरीयत की निगाह मे कैसा है?
हौज़ा / मोमिन का खुद अपने को ज़लील करना हराम है, उदाहरण के तौर पर वह ऐसा कपड़ा पहने जो उसे लोगों की नज़र में बदनुमा और बदसूरत ज़ाहिर करे।
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शरई अहकाम:
नापतोल में कमी करना क्या शरीयत में हराम हैं?
हौज़ा / तराज़ू या नापने वाले पैमाने के माध्यम से कमी करना हराम है या इस जैसी चीज़ों मे हक़ मारना जैसे कि वजन या फीता वगैरा से मिक़्दार नापते हुए पूरा हक़ अदा न करना हराम हैं।
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शरई अहकाम:
इस्राफ़ (फ़ज़ूलखर्ची) और तबज़ीर क्या हैं, और क्या यह हराम कामो मे से है?
हौज़ा/इस्राफ़ (फजूलखर्ची) और तबज़ीर हराम हैं,और इसराफ फ़जूलखर्ची का अर्थ है आवश्यकता से अधिक धन का उपयोग किया जाए,जबकी जबज़ीर यह कि माल को ऐसी जगहों और चीज़ों पर खर्च किया जाए जो की हकीकत में गैर मुनासिब हो,
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शरई अहकाम:
मस्जिद के सामान के नुक़सान का ज़िम्मेदार कौन?
हौज़ा/अगर आपने इनकी रक्षा में लापरवाही नहीं की है तो आप ज़िम्मेदार नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
किसी मुसलमान को कत्ल करने या उस पर ज़ुल्म करने का क्या हुक्म हैं?
हौज़ा/किसी मुसलमान का कत्ल करना हराम है बल्कि वह काफिर जिसकी जान की हिफाज़त मुसलमान मुल्क में वाजिब हो उसको भी कत्ल करना हराम है और यहां तक की जुल्मों सितम करना भी कत्ल ही की तरह हैं,
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शरई अहकामः
चेहरा न छुपाने वाली महिला के लिए, चेहरे और आईब्रो के बाल बनवाना और उन पर हल्का पाउडर लगाना कैसा है?
हौज़ा | चेहरे और आईब्रो के बाल बनाकर चेहरा खुला छोड़ने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन शर्त यह है कि इसे हराम से बचाया जा सके।
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शरई अहकाम:
क्या अपनी सारी संपत्ति किसी एक बेटे के नाम करके दूसरे को उससे वंचित कर सकता हैं?
हौज़ा/हां वह ऐसा कर सकता है लेकिन वह मरीज हो इसी बीमारी में मर जाए तो यह वसीयत केवल एक तिहाई तक ही सीमित रहेगी,
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शरई अहकाम:
अगर किसी औरत का इंतकाल हो जाए और उसने अपनी जिंदगी में अपना मेहर ना लिया हो तो क्या उसके वारिस मेहर का मुतालबा कर सकते हैं?
हौज़ा / अगर उसने शौहर को बख्श ना दिया हो तो ले सकते हैं।
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शरई अहकाम:
पुरुष के लिए महिलाओं के मेकअप के सामान बेचने का क्या हुक्म है?
हौज़ा/बज़ाते ख़ुद इस काम में कोई हर्ज नहीं है लेकिन अगर हराम में पढ़ने का खौफ हो तो हराम हैं।
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शरई अहकामः
धार्मिक मुद्दों के बारे में पुस्तकों का अध्ययन करना कैसा है? सर्वाधिक उपयोगी होने के लिए किन विषयों का अध्ययन शुरू करना चाहिए?
हौज़ा | आरंभ में उसे उसूले दीन और फ़ुरूए दीन तथा चौदह मासूमीन से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए।
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शरई अहकाम:
दोस्तों की महफिलों में इस्काफ वगैरा के बगैर फोटो खींचना कैसा हैं?
हौज़ा/ऐसे मौको पर खुद फोटो खींचने में कोई हर्ज नहीं है और ना महरम को दिखाने पर दिखाने वालों को गुनाह पड़ेगी,