शरई अहकाम
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शरई अहकामः
बैंक से उधार लेने का क्रम क्या है?
हौज़ा / शिया न्यायविदो के फतवे के अनुसार, बैंक से ऋण लेने का फैसला विभिन्न परिस्थितियों और शर्तों पर निर्भर करता है, और ब्याज की प्रकृति (रिबा) एक महत्वपूर्ण कारक है।
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शरई अहकामः
मृतक के शरीर के अंगों को जरूरतमंद मरीजों को दान करना!
हौज़ा/ सर्वोच्च क्रांति के नेता ने एक सवाल के जवाब में मृतक के शरीर के अंगों को जरूरतमंद मरीजों को दान करने के बारे में बताया।
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शरई अहकामः
नमाज़ के कलमात अदा करने की कैफ़ीयत
हौज़ा / नमाज़ में यह अनिवार्य है कि कलमात को इस तरह से पढ़ा जाए कि इसे पाठ कहा जा सके, इसलिए कलमात को दिल में पढ़ना या बिना उच्चारण के केवल होंठ हिलाना पर्याप्त नहीं है। पढ़ने की निशानी यह है कि नमाज़ पढ़ने वाला (जबकि उसके कान भारी न हों और उसके आसपास कोई शोर न हो) जो पढ़ा और किया जा रहा है उसे अपने काने से सुन सके।
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हौज़ा इलमिया का शैक्षणिक वर्ष आयतुल्लाह सुब्हानी के संबोधन के साथ शुरू होगा
हौज़ा / हौज़ा इल्मिया के नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत और हौज़ा इल्मिया क़ुम के शिक्षकों का सम्मेलन शनिवार, 7 सितंबर को मदरसा इल्मिया फैज़िया क़ुम में आयतुल्लाहिल उज़्मा सुब्हानी के संबोधन के साथ आयोजित किया जाएगा।
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शरई अहकामः
यदि चेहरा और हाथ धो रहे हैं; नीचे से ऊपर तक धोया जाए तो क्या वुज़ू बातिल हो जाएगा?
हौज़ा / अगर कोई जानबूझ कर अपना चेहरा और हाथ नीचे से ऊपर तक धोए तो उसका वुज़ू बातिल होगा।
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शरई अहकामः
अम्र बिल मारूफ़ के लिए हाकिमे शरआ की अनुमति के लिए आवश्यक अवसर
हौज़ा/ आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकारिम शिराज़ी से शरई सवाल पूछा कि ऐसे कौन से अवसर हैं जिनमें अम्र बिल-मारूफ और नहीं अनिल-मुनकर के लिए हाकिमे शरअ की अनुमति आवश्यक है और कोई व्यक्ति स्वयं कार्रवाई नहीं कर सकता?
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शरई अहकामः
अव्वले वक्त मे नमाज़ जमाअत के साथ पढ़ना महत्वपूर्ण है या अज़ादारी, मजालिस या जुलूसे इमाम हुसैन (अ) के बाद?
हौज़ा/अहले-लबैत (अ) केअनुयायियों के माध्यम से यह आवश्यक है कि वे पहले जमाअत के साथ नमाज अदा करने का प्रयास करें, क्योंकि कर्बला में उठाए गए सभी कष्ट और कठिनाइयाँ धर्म की स्थापना के लिए थीं।
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शरई अहकामः
महिलाओं की आवाज़
हौज़ा/ यदि कोई महिला नमाज़ में अपनी आवाज़ बुलंद करती है जबकि कोई गैर-महरम सुन रहा है और उसकी आवाज़ सुंदर और आकर्षक है, तो क्या उस स्थिति में उसकी नमाज़ बातिल होगी?
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हरम के अतराफ से ज़ियारत करना पढ़ना?
हौज़ा / अरबईन के दिनों में भारी भीड़ के कारण कुछ लोगों के लिए हरम ए इमाम हुसैन अ.स.और बैनुल हरमैन में दाखिल होना बहुत ही मुश्किल का काम है और बाज़ लोगों के लिए ना मुमकिन हो जाता है, और बाज़ औकात दूसरों को तकलीफ पहुंचाने का सबक बनता है, क्या इस सूरत में हराम के अतराफ से ज़ियारत पढ़ना किफायत करता है?
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शरई अहकामः
हरम म्यूजिक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से बनाई गई आवाज़ का हुक्म
हौज़ा / क्रांति के सर्वोच्च नेता ने एक सवाल के जवाब में "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा बनाई गई आवाज़" के बारे में बताया है।
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शरई अहकामः
क्या कर्बला में पूरी नमाज़ पढ़ेंगे या क़स्र?
हौज़ा/सर्वोच्च क्रांति के नेता ने "इमाम हुसैन (अ) के आंगन में नमाज़े यौमिया के आदेश" के संबंध में एक सवाल का जवाब दिया है।
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शरई अहकामः
कुछ अंजुमनो में ऐसे मसाइब सुनाए जाते हैं जो किसी भी प्रामाणिक "मक़तल" में नहीं पाए जाते। क्या उपरोक्त घटनाओं की इस प्रकार नकल करना सही है? और अगर ये सही नहीं है तो सुनने वालों की जिम्मेदारी क्या है?
हौज़ा/ जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, बिना किसी प्रामाणिक परंपरा या सिद्ध ऐतिहासिक स्रोत के घटनाओं को उद्धृत करने की कोई शरीयत स्थिति नहीं है, यदि कथन वर्तमान स्थिति से उद्धृत किया गया है और उसकी मिथ्याता ज्ञात नहीं है, तो इसे उद्धृत करने में कोई समस्या नहीं है क्या नहीं है।
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शरई अहकामः
पुरुषों के लिए अहले-बैत (अ) की मजलिस में गैर-महरम महिलाओं के रोने की आवाज सुनने का क्या हुक्म है?
हौज़ा | जब तक इसमें कोई बुराई या भ्रष्टाचार न हो तब तक इसमें कोई बुराई नहीं है।
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शरई अहकामः
ऐसी हदीस बयान करना जिसके सही होने का यक़ीन न हो
हौज़ा/ यदि वह हदीस के सही होने का उल्लेख नहीं करता है और हदीस प्रसिद्ध है, तो उसको बयान किया जा सकता है।
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शरई अहकामः
क्या मजलिस मे मरसिया और नौहा पढ़ रही औरत के लिए यह जायज़ है कि वह अपनी आवाज़ किसी ग़ैर मर्द को सुनाए? और क्या किसी पुरुष के लिए इसे सुनना जायज़ है?
हौज़ा / यदि आवाज़ में सूक्ष्मता, सुंदरता, संरचना और उत्तेजना नहीं है, तो एक महिला के लिए अपनी आवाज़ सुनाना जायज़ है, हालांकि, एक पुरुष के लिए उसकी आवाज़ सुनना जायज़ है जब वह कामुक नहीं हो
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शरई अहकामः
यदि मजलिस में भाग लेने से कुछ वाजेबात छूट जाते हो, तो क्या किसी को ऐसी मजलिस में भाग नहीं लेना चाहिए या इन मजलिसों में भाग न लेना अहले-बैत (अ) से दूरी का कारण है?
हौज़ा/ यह स्पष्ट है कि वाजिब नमाज अहले-बेत (अ) की मजलिस में भाग लेने से पहले है, और मजलिस में भाग लेने के बहाने नमाज को छोड़ना स्वीकार्य नहीं है। लेकिन इस तरह से भाग लेना संभव है कि नमाज का कोई विरोध न हो।
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शरई अहकाम:
क्या अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम के फ़ज़ायल और मसाइब बयांन करने के लिए ज़ाकिर कीमत तय सकता हैं?
हौज़ा / उजरत(कीमत) निर्धारित करने में शरीयत के एतबार से कोई इश्काल नहीं हैं, लेकिन यह काम ज़ाकिरे अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम कि जिन्हें तकवा और पारसाई का मज़हर होना चाहिए उनकी शान के मुनासिब नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
अज़ादारी और दूसरे मज़हबी कामों में रियाकारी करना?
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराज़ी से फिक्ही सवाल और उसके जवाब
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शरई अहकामः
दूसरों को काम दिलाने (रीकमेंट करने) के लिए पैसे लेना
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई से "दूसरों को काम दिलाने (रीकमेंट करने)" के संबंध में पूछा गया प्रश्न और उसका उत्तर।
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दिन की हदीस:
हिल्म और अक्ल के दो फल
हौज़ा / हज़रत इमाम अली अ.स. ने एक रिवायत मे हिल्म और अक्ल के दो समरात को बयान फरमाया हैं।
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शरई अहकाम:
मैं जानती हूं मेरा शौहर राज़ी हैं
हौज़ा / अगर कोई औरत जानती हो कि उसका शौहर घर के बाहर जाने से राज़ी है काफी है या ज़ाबानी इजाज़त लेना ज़रूरी है?
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शरई अहकाम:
؟ना महरम से मदद लेना
हौज़ा / क्या एक लड़की किसी नौजवान लड़के को तालीम (शिक्षा) और पढ़ाई में इस्लामी अहकाम की रिआयत करते हुए मदद कर सकती हैं?
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शरई अहकाम:
क्या उन बाजारों या कंपनियों से रोज़मर्रा की वस्तुएं खरीदना जायज़ है जो अपने मुनाफे का एक हिस्सा इज़राइल का समर्थन करने के लिए मख्सूस करते हैं?
हौज़ा / इजरायली वास्तुओं और ऐसी कंपनियों की बनी हुई चीज़ों को जो यकीनी तौर पर जो इजरायल की मदद करती हो उनके साथ मामला करना जायज़ नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
दूसरे को कोई बात समझने के लिए नमाज़ का कोई ज़िक्र पढ़ना
हौज़ा / अगर नमाज़ के किसी हिस्से की अदायगी में कस्द कुर्बत ना रखें जबकी रिया की नीयत भी न रखता हो तो क्या नमाज सही है? जैसे किसी दूसरे को कोई बात समझने के लिए रुकू के ज़िक्र को ऊंची आवाज़ में पढ़े।
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शरई अहकाम:
ग़ैर मुस्लिम औरतों को देखना
हौज़ा / क्या विदेशों की गैर मुस्लिम महिलाओं को उनके कपड़ों की हालात के पेशे नज़र देखना इश्काल रखता है?
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शरई अहकाम:
नौबत (बारी) का ख्याल ना रखना?
हौज़ा / क्या रोटी लेने या डॉक्टर को दिखाने जैसे की लाइन में नौबत या बारी और दूसरे की नौवत का ख्याल ना रखना हराम हैं।
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शरई अहकाम:
किसी मर्द का ना महरम औरत की पेंटिंग बनाने का क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / अस्ल पेंटिंग बनाने में कोई इश्काल नहीं है,लेकिन बे हिजाब औरत के फोटो की तरफ निगाह करना जिसको पहचानता हो अगर उसकी तौहीन का सबब न हो तब भी एहतियाते वाजिब की बिना पर जायज़ नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
मुस्तहब नमाजों को बुलंद आवाज़ से पढ़े या आहिस्ता?
हौज़ा / कोई फर्क नहीं है चाहे आहिस्ता पढ़े या बुलंद आवाज़ से
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शरई अहकाम:
अगर औरत खुद कमाती हो तो क्या शौहर (पति) औरत को नफ्क़ा देने से मना कर सकता हैं?
हौज़ा / अगर औरत कमाती हो तब भी शौहर नफ्क़ा देने से मना नही कर सकता हैं।
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शरई अहकाम:
इलाज का खर्च और दवा और अस्पताल का खर्च बीवी के नफ्क़ा का हिस्सा है या नहीं?
हौज़ा / डॉक्टर, दवाएँ और(चिकित्सा) इलाज के तमाम खर्च इस लाज़मी नफ़्के का हिस्सा है जो पति को अदा करना होगा