۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
लखनऊ

हौज़ा/हज़रत इमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय के द्वारा शाही ज़रीह का जुलूस शाही शानो शौकत के साथ शाही और रिवायती अंदाज़ में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच निकाला गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ/ मोहर्रम की एक तारीख को रविवार की शाम बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाड़े तक मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय के द्वारा शाही ज़रीह का जुलूस शाही शानो शौकत के साथ शाही और रिवायती अंदाज़ में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच निकाला गया। रात करीब 8 बजे बड़े इमामबाड़े में मौलाना मोहम्मद अली हैदर ने मजलिस पढ़ी और उन्होंने मजलिस में कर्बला का दर्दनाक मंज़र बयान किया तो इमाम हुसैन के चाहने वालो की आंखें नम हो गई । मजलिस के बाद बड़े इमामबाड़े से शाही ज़रीह का जुलूस निकाला गया। शाही ज़रीह का जुलूस हुसैनाबाद ट्रस्ट की तरफ से शाही अंदाज़ में निकाला जाता है।

2 साल के अंतराल के बाद निकाले गए शाही ज़रीह के जुलूस में हाथी घोड़े ऊंट शामिल थे और शाही बैंड पर मातमी धुन बज रही थी। शाही ज़रीह के जुलूस में शामिल अज़ादार हज़रत इमाम हुसैन की याद में सिसकियां भरकर उनका मातम कर रहे थे। शाही ज़रीह के जुलूस में ज़ियारत के लिए शहर भर के लाखों अज़ादार शामिल हुए और शाही ज़रीह का बोसा ले कर ज़ियारत की। आपको बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से साल 2020 से लेकर साल 2021 तक कोई भी जुलूस नहीं निकाला गया था। रविवार की रात निकाले जाने वाले शाही ज़रीह के जुलूस से पहले पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के द्वारा जुलूस की सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लिया गया और शांतिपूर्ण माहौल में जुलूस को संपन्न कराने के लिए पूरे इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था।

डीसीपी पश्चिम एस चिनप्पा एडीसीपी पश्चिम चिरंजीवी नाथ सिन्हा एसीपी चौक इंद्र प्रकाश सिंह पूरी मुस्तैदी के साथ पुलिस फोर्स के साथ लगातार हालात का जायजा लेते रहे। जुलूस के आगे नवाबीने अवध इमाम हुसैन का मातम करते हुए चल रहे थे। जुलूस शुरू होने से पहले नगर निगम के अधिकारियों की निगरानी में जुलूस के पूरे मार्ग को स्वच्छ बनाने के लिए विशेष सफाई अभियान भी चलाया गया। जुलूस के रास्ते पर पड़ने वाले रास्तों को बाकायदा बैरिकेट्स किया गया था ताकि जुलूस के समय जुलूस के मार्ग पर कोई आवारा पशु न आ सके। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बड़े इमामबाड़े से निकाला गया शाही जरीह का जुलूस पुरसुकून माहौल में देर रात छोटे इमामबाड़े पहुंच गया। आपको बता दें कि पहली मोहर्रम को हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से शाही जरीह का जुलूस निकाला जाता है ।

सात मोहर्रम को भी हुसैनाबाद ट्रस्ट की तरफ से ही शाही मेहंदी का जुलूस निकाला जाता है । 8 मोहर्रम की रात दरिया वाली मस्जिद से अलम फातेह फुरात के अलम का जुलूस गुफरान माब इमाम बाड़े तक निकाला जाता है और इस जुलूस से पहले क़ायेदे मिल्लत मौलाना कल्बे जावाद नक़्वी मजलिस को खिताब करते हैं। 9 मोहर्रम की रात शबे आशूर का जुलूस बजाजा स्थित नाजिम साहब के इमामबाड़े से नजफ़ तक निकाला जाता है इसके अलावा यौमे आशूर के दिन बजाजा स्थित नाज़िम साहब के इमामबाड़े से यौमे आशूर का जुलूस कर्बला में शहीद हुए हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की याद में निकाला जाता है और ये जुलूस अकबरी गेट , नखास टूरियागंज, बाजार खाला, हैदरगंज , बुलाकी अड्डा होता हुआ कर्बला तालकटोरा में संपन्न होता है ।

हजरत इमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय के द्वारा 2 महीने 8 दिन तक ग़म मनाया जाता है जिसमें घरों में मजलिसों का आयोजन किया जाता है और यौमे आशूर के दिन शिया समुदाय के लोग ताजियों को सुपुर्द ए खाक करते हैं । हजरत इमाम हुसैन की शहादत के 40 वे दिन चेहल्लुम का जुलूस बजाजा स्थित नाज़िम साहब के इमामबाड़े से कर्बला तालकटोरा तक निकाला जाता है अंत में 8 रबी उल अव्वल कि सुबह चुप ताजिया का जुलूस निकाला जाता है।

मोहर्रम के सभी जुलूस और मजलिसों को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराने के लिए लखनऊ पुलिस ने कई दिन पहले से ही मशक्कत शुरू कर दी थी और पुराने लखनऊ के संवेदनशील माने जाने वाले इलाकों में न सिर्फ पुलिस के आला अफसरान ने फ्लैग मार्च कर अराजक तत्वों को पुलिस की ताकत का एहसास कराया था बल्कि पुराने लखनऊ के तमाम इलाकों में पुलिस के अफसरों ने क्षेत्रीय लोगों के साथ पीस कमेटी की मीटिंगो का आयोजन कर अमन पसंद लोगों को विश्वास दिलाया था कि जनता के सहयोग से मोहर्रम के सभी जुलूस और अन्य सभी कार्यक्रमों को पूरी जिम्मेदारी के साथ शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराया जाएगा।

पहली मोहर्रम को शाही ज़रीह का जुलूस कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न संपन्न कराकर पुलिस ने ये साबित कर दिया है कि पुलिस किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में अराजकता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और अशांति फैलाने की मंशा रखने वाले अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के लिए पुलिस के द्वारा किए गए सुरक्षा इन्तिज़ामो को देख कर यही कहा जा सकता है कि पुलिस का सुरक्षा इंतिज़ाम बेहतरीन है ।

जुलूस के दौरान पुलिस कमिश्नर खुद रहे मौजूद

पहली मोहर्रम को बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाड़े तक हुसैनाबाद ट्रस्ट की तरफ से निकाले जाने वाले शाही म जरीह के जुलूस से पहले पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर जुलूस के पूरे मार्ग का जायजा लेने के लिए खुद पहुंचे थे । पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने जुलूस के मार्ग का जायजा लेने के बाद अपने मातहत अधिकारियों को सुरक्षा के गुरु भी सिखाएं। पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के साथ पुलिस का बड़ा अंडा मौजूद था और वो काफी देर तक रूमी गेट चौकी के पास मौजूद रहकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे।

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