गुरुवार 10 जुलाई 2025 - 14:19
12-दिवसीय युद्ध में इस्लामी गणतंत्र ईरान की सफलता ने प्रतिरोध की आशाओं को मजबूत किया

हौज़ा / आयतुल्लाह मोहम्मद हसन अख़्तरी ने कहा है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की शानदार सफलता और सियोनिस्ट दुश्मन की ऐतिहासिक हार ने न केवल ईरानी राष्ट्र की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है, बल्कि प्रतिरोध की पंक्तियों में आशा और दृढ़ता को कई गुना बढ़ा दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , मजमए जहानी अहलेबैत अ.स. की उच्च परिषद के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन मोहम्मद हसन अख़्तरी ने एक वार्ता में कहा कि आज प्रतिरोध पहले से कहीं अधिक मजबूत, जागरूक और सक्रिय है और हिज़्बुल्लाह, हमास, अंसारुल्लाह तथा अन्य प्रतिरोधी समूह दुश्मनों के सामने पूरी बहादुरी के साथ डटे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि ये सभी समूह किसी भी हालत में सियोनिस्ट सरकार और अमेरिका की अतार्किक मांगों या अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका यह दृढ़तापूर्ण रुख सराहनीय है। 

हुज्जतुल इस्लाम वाल मुस्लिमीन अख़्तरी ने जोर देकर कहा कि अपनी भूमि और अधिकारों की रक्षा करना एक तार्किक, शरई और मानवीय कर्तव्य है, जिसे लेबनान, यमन और फिलिस्तीन सहित सभी मजलूम कौमों का वैध अधिकार माना जाना चाहिए।

उन्होंने वैश्विक समुदाय से आग्रह किया कि वह सियोनिस्ट सरकार की आक्रामकता और बर्बरता के खिलाफ न्यायसंगत और समझदारी भरा रुख अपनाए, क्योंकि अगर इस अत्याचारी सरकार को नहीं रोका गया, तो इसके खतरे न केवल क्षेत्र तक सीमित रहेंगे, बल्कि पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकते हैं। 

उन्होंने ईरान पर सियोनिस्ट सरकार के हालिया हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ईरानी राष्ट्र ने हमेशा दुश्मन के सामने अद्वितीय वीरता दिखाई है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को चाहिए कि वे इस आक्रमण की निंदा करें और ईरान को हुए नुकसान की भरपाई करें। दुश्मन को इतनी सख्त सजा दी जानी चाहिए कि वह न केवल ईरान, बल्कि किसी भी इस्लामी देश पर फिर से हमला करने की हिम्मत न कर सके। 

आयतुल्लाह अख़्तरी ने आगे कहा कि दुनिया भर के उलेमा को सियोनिस्ट और अमेरिकी आक्रमण के खिलाफ जोरदार मुहिम चलाने और इन अत्याचारों की निंदा करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हुज्जतुल इस्लाम आयतुल्लाह मक़ारिम शिराज़ी और हुज्जतुल इस्लाम आयतुल्लाह नूरी हमदानी द्वारा जारी किए गए बयान एक क्रांतिकारी शुरुआत थे, जिन्हें अन्य उलेमा का समर्थन प्राप्त हुआ, लेकिन इस संबंध में और प्रयासों की आवश्यकता है। 

उन्होंने 12-दिवसीय युद्ध में इस्लामी गणतंत्र ईरान की जीत को सियोनिस्ट दुश्मन की ऐतिहासिक हार बताते हुए कहा कि इस सफलता ने प्रतिरोध मोर्चे में नई जान फूंकी है और हमें अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाने तथा जनता में जागरूकता पैदा करने के लिए और प्रयास करने होंगे।

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