शुक्रवार 11 जुलाई 2025 - 11:43
प्रतिरोध ही ईरानी राष्ट्र की प्रतिष्ठा और गरिमा को बचाने का एकमात्र विकल्प है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहम्मद सादिक वहीदी गुलपायगानी ने कहा कि ईरान का आशूरा-प्रेमी दुश्मनों के अत्याचार के आगे झुकने वाला नहीं है उन्होंने कहा कि इज़राईल और उनके समर्थकों के खिलाफ संघर्ष ही इस राष्ट्र की प्रतिष्ठा, गरिमा और गौरव को बचाने का एकमात्र विकल्प है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहम्मद सादिक वहीदी गुलपायगानी ने कहा कि ईरान का आशूरा-प्रेमी दुश्मनों के अत्याचार के आगे झुकने वाला नहीं है उन्होंने कहा कि इज़राईल और उनके समर्थकों के खिलाफ संघर्ष ही इस राष्ट्र की प्रतिष्ठा, गरिमा और गौरव को बचाने का एकमात्र विकल्प है। 

उन्होने कहा कि सियोनिस्ट शासन के खिलाफ लड़ाई की जड़ें कुरान की शिक्षाओं में हैं उन्होंने कहा, "सियोनिस्टों के खिलाफ प्रतिरोध को राष्ट्रवादी या केवल मानवतावादी मुद्दे तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। 

उन्होंने आगे कहा,अल्लाह ने कुरान में सियोनिस्ट यहूदियों के मानवता-विरोधी और धर्म-विरोधी कार्यों के बारे में बात की है और हमें इस समूह से सावधान रहने की चेतावनी दी है। आज दुनिया में यह समूह कला और मीडिया के हथियारों से लैस होकर गाजा में नरसंहार और ईरान पर आक्रमण को सही ठहराता है और इसे 'पूर्व-emptive ऑपरेशन' कहता है। 

उन्होंने कहा,सियोनिस्ट शासन के खिलाफ संघर्ह राजनीतिक इस्लाम के सिद्धांतों, मानवीय नैतिकता, तर्क और ठोस तर्क पर आधारित है। इसी आधार पर, सियोनिस्ट शासन के आक्रमण के दिनों में भी ईरानी राष्ट्र पहले से अधिक मजबूती के साथ मैदान में उतरा और एकजुट होकर दुश्मन को घुटनों पर ला दिया आज भी यह राष्ट्र दुश्मनों के झूठे प्रचार और भ्रम फैलाने से प्रभावित नहीं होता।

हुज्जतुल इस्लाम वहीदी गुलपायगानी ने कहा, ईरान का आशूरा-प्रेमी राष्ट्र दुश्मनों के अत्याचार के आगे झुकने वाला नहीं है। सियोनिस्टों और उनके समर्थकों के खिलाफ प्रतिरोध और संघर्ष ही इस राष्ट्र की प्रतिष्ठा, गरिमा और गौरव को बचाने का एकमात्र विकल्प है यह वही रास्ता है जो इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके साथियों ने आशूरा के आंदोलन में हमें दिखाया था।

उन्होंने कहा,प्रतिरोध की कीमत आत्मसमर्पण और समझौते की कीमत से कहीं कम है अगर हम आत्मसमर्पण कर दें, तो राष्ट्रीय पहचान और मानवीय गरिमा नष्ट हो जाएगी और हमें हर दिन दुश्मनों के सामने और अधिक झुकना पड़ेगा, हम हीन और अपमानित हो जाएंगे।

इराक से लीबिया तक कई देशों का अनुभव इस सच्चाई को साबित करता है। इसी आधार पर, सर्वोच्च नेता इमाम खामेनेई, इमाम खुमैनी र.ह के आंदोलन को जारी रखते हुए और इस्लामी गणतंत्र के आदर्शों के आधार पर, प्रतिरोध के विकल्प पर जोर देते हैं। 

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha