۳۰ آبان ۱۴۰۳ |۱۸ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 20, 2024
आगा

हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने कहा है कि सामाजिक पवित्रता और सम्मान इफफ्त और हिजाब के माध्यम से ही संभव है, और इन सिद्धांतों का उल्लंघन समाज को भ्रष्टता की गहराइयों में धकेल देता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, अंजुमने फिक्क और कानून संघ के सदस्यों ने हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली से मुलाकात की जहां उन्होंने इफफ्त और हिजाब के विषय पर चर्चा की।

इस अवसर पर उनका कहना था कि आंख, जुबान, कान और आचरण की पवित्रता एक सभ्य समाज का निर्माण करती है जबकि इन सिद्धांतों का उल्लंघन सामाजिक शांति को खतरे में डाल देता है।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने कहा कि परिवार की बुनियाद शील और पवित्रता पर होती है और यह स्वाभिमान के माध्यम से संरक्षित रहती है। उन्होंने स्वाभिमान को ईश्वरीय गुणों में से एक महत्वपूर्ण गुण बताया और इसके तीन मुख्य पहलुओं पर प्रकाश डाला:

1. अपनी पहचान और स्थिति को पहचानना।
2. दूसरों की सीमाओं में हस्तक्षेप न करना।
3. अपनी सीमाओं में दूसरों को हस्तक्षेप करने की अनुमति न देना।

उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपनी मानवीय पहचान और अपने अधिकार क्षेत्र को पहचानता है, वह न तो दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है और न ही किसी को अपने अधिकारों का उल्लंघन करने देता है। ऐसे व्यक्ति और समाज अशीलता के नुकसान से सुरक्षित रहते हैं।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने स्पष्ट किया कि हिजाब और शील न केवल व्यक्ति की बल्कि समाज की पवित्रता के लिए भी आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि केवल स्वाभिमानी समाज ही वास्तविक प्रगति और शांति की ओर अग्रसर हो सकता है।

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