हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मदरसा एल्मिया सिद्दीका कुबरा (स.ल.) की शिक्षिका, शहर बहार की माननीय खदीजा जवाहरी मोवाहिद ने हफ्त-ए-इफ़्फ़त व हिजाब के अवसर पर हौज़ा न्यूज़ के प्रतिनिधि से बातचीत में इस्लामी समाज की सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा में मुस्लिम महिला की महत्वपूर्ण भूमिका की ओर इशारा किया और हिजाब के सभ्यतागत पहलुओं को समझाया।
उन्होंने कहा,हिजाब, मुस्लिम महिला के इस्लामी मूल्यों, मानवीय गरिमा और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ाव की गहरी निशानी है। यह पोशाक न केवल पश्चिम के सांस्कृतिक हमले के खिलाफ सांस्कृतिक स्वतंत्रता का प्रदर्शन है, बल्कि महिला की व्यक्तित्व और सामाजिक स्थिति की रक्षा भी करती है।
मदरसा एल्मिया सिद्दीका कुबरा (स.ल.) की शिक्षिका ने कहा,हिजाब महिला को एक सम्मानित व्यक्ति के रूप में पेश करता है, उसे समाज में एक 'वस्तु' के रूप में देखे जाने से मुक्त करता है और एक सम्मानित पहचान वाले व्यक्ति के रूप में स्थापित करता है।
उन्होंने आगे कहा,जब एक मुस्लिम महिला हिजाब अपनाती है, तो वह यह दिखाती है कि यह एक गरिमापूर्ण, सचेत और स्वतंत्र निर्णय है जो उसके आत्मसम्मान से उत्पन्न होता है।
एक बुर्कापोश महिला, शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाते हुए दुनिया को यह स्पष्ट संदेश देती है कि महिला होना केवल यौन अभिव्यक्ति का नाम नहीं है, बल्कि सम्मान, गरिमा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी हो सकता है और यह सब गरिमापूर्ण पोशाक में प्रकट हो सकता है।
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