शुक्रवार 22 अगस्त 2025 - 15:19
पैग़म्बर मुहम्मद (स) के आदर्शों पर चलकर ही हमारा समाज एक मुस्लिम समाज बन सकता है: मौलाना सय्यद अली हाशिम आबिदी

हौज़ा/ 28 सफ़र उल-मुज़फ़्फ़र के अवसर पर हौज़ा न्यूज़ एजेंसी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में, मौलाना सय्यद अली हाशिम आबिदी ने कहा कि पैग़म्बर मुहम्मद (स) का आदर्श ही मुसलमानों की खुशी और सफलता का असली आधार है और अगर हम विश्वासों में निर्भयता, ईश्वरीय मर्यादाओं का पालन, जीवन में सादगी और क्षमाशीलता को अपनाएँ, तो आज भी हमारा समाज एक मुस्लिम समाज बन सकता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना सय्यद अली हाशिम आबिदी भारत के उन विद्वानों में से एक हैं जो धर्म पर गंभीर और बौद्धिक ढंग से बात करते हैं और श्रोताओं व पाठकों को सोचने पर मजबूर करते हैं। वे एक उत्कृष्ट वक्ता, लेखक और प्रखर धार्मिक विद्वान हैं। मौलाना अपने वक्तव्यों और लेखों के माध्यम से युवाओं में धार्मिक जागरूकता, सही विश्वास और बौद्धिक जागरूकता पैदा करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

28 सफ़र अल-मुज़फ़्फ़र, हज़रत ख़ातम अल-मुर्सलीन (स) की वफ़ात के दिन आपसे की गई बात-चीत पाठकों के लिए प्रस्तुत है।

हौज़ा: अल्लाह तआला ने पवित्र क़ुरआन में पैग़म्बर (स) को "उस्वा ए हस्ना" घोषित किया है। आप इस बारे में क्या कहते हैं?

मौलाना अली हाशिम आबिदी: हाँ, अल्लाह तआला ने सय्यद अल-मुर्सलीन, ख़ातम अल-नबीईन हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) को दुनिया के लिए रहमत और मानवता के लिए एक आदर्श बताया है। पवित्र क़ुरआन कहता है:

निःसंदेह, अल्लाह के रसूल आपके लिए एक बेहतरीन उदाहरण हैं उन लोगों के लिए जो अल्लाह और आख़िरत के दिन की आशा रखते हैं और अल्लाह को बहुत याद करते हैं (अल-अहज़ाब: 21)

अर्थात, अल्लाह के रसूल का जीवन आपके लिए सर्वोत्तम उदाहरण है। यह आयत स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि मुसलमानों की खुशी और सफलता पैग़म्बर मुहम्मद (स) का अनुसरण करने में निहित है।

हौज़ा: पैग़म्बर मुहम्मद (स) के अच्छे उदाहरण के आलोक में सबसे पहला पहलू क्या उभर कर आता है?

मौलाना अली हाशिम आबिदी: पहला पहलू है "विश्वासों का निर्भीक बयान"। अल्लाह के रसूल (स) ने हमेशा बिना किसी डर या भय के अपने विश्वासों को अविश्वासियों और बहुदेववादियों के सामने प्रस्तुत किया। एक अवसर पर, बहुदेववादियों ने उनसे कहा कि आप एक वर्ष हमारे अल्लाह की इबादत करें और हम एक वर्ष आपके अल्लाह की इबादत करेंगे। इस पर उन्होंने निडरता से घोषणा की: "मैं अल्लाह के समान किसी की कल्पना नहीं कर सकता, और मैं इस धारणा से उसकी शरण में आता हूँ।"

यह निर्भीकता ही वास्तव में सच्चे विश्वासों की शक्ति है।

हौज़ा: हुदूद ए इलाही को लागू करने में पैग़म्बर मुहम्मद (स) का चरित्र क्या था?

मौलाना अली हाशिम आबिदी: आपने ईश्वर के कानून में कभी भी सुविधा या रियायत स्वीकार नहीं की। फ़त्हे मक्का के मौक़े पर एक प्रतिष्ठित परिवार की महिला ने चोरी की, और जब अपराध सिद्ध हो गया, तो आपने हुदूद लागू करने का आदेश दिया। लोगों ने बीच-बचाव किया, लेकिन आपने फ़रमाया:

"अगर कोई ग़रीब चोरी करे, तो उसे सज़ा दी जाए, और अगर कोई अमीर चोरी करे, तो उसे छोड़ दिया जाए? नहीं, अल्लाह के क़ानून की अनदेखी नहीं की जा सकती।"

यह दृढ़ता आज के समाज के लिए भी एक बड़ी सीख है।

हौज़ा: पैग़म्बर (स) के सादगी भरे जीवन के बारे में आप क्या कहेंगे?

मौलाना अली हाशिम आबिदी: पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने हमेशा बेमिसाल सादगी अपनाई। उन्होंने एक साधारण व्यक्ति की तरह जीवन जिया ताकि वे मानवता के लिए एक सच्चे आदर्श बन सकें। एक बार, उमर ने देखा कि वे ताड़ के पत्तों से बने तकिये पर आराम कर रहे हैं। उन्होंने आश्चर्य से पूछा, "ऐ अल्लाह के रसूल! कैसर और किसरा रेशमी बिस्तरों पर सोते हैं, आपका जीवन इतना सादगी भरा क्यों है?"

उन्होंने उत्तर दिया: "दुनिया क्षणिक है, असली शांति परलोक में है और मैंने परलोक की शांति को चुना है।"

यह सादा जीवन हमारे लिए सबसे बड़ी सलाह है।

हौज़ा: क्षमा और दया के संदर्भ में पैग़म्बर मुहम्मद (स) का जीवन कैसा था?

मौलाना अली हाशिम आबिदी: पैग़म्बर मुहम्मद (स) क्षमा और दमा के प्रतीक थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मक्का की विजय है, जब उन्होंने अपने सबसे कट्टर शत्रुओं को भी क्षमा कर दिया था। हालाँकि ये वही लोग थे जिन्होंने इस्लाम और मुसलमानों को कष्ट पहुँचाया था। इसी प्रकार, उनका पूरा जीवन क्षमा और क्षमा का एक व्यावहारिक उदाहरण है।

हौज़ा: अंत में आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

मौलाना अली हाशिम आबिदी: मेरा संदेश यह है कि यदि हम पैग़म्बर मुहम्मद (स) के अच्छे उदाहरण को अपने सामने रखें, चाहे वह विश्वासों में निडर दृढ़ता हो, हुदूद ए इलाही का पालन हो, जीवन में सादगी हो, या क्षमा और क्षमा हो—ये सभी हमारे लिए प्रकाश स्तंभ हैं। अगर हम उन पर अमल करें, तो हमारा समाज आज भी एक मुसलमान समाज बन सकता है।

अल्लाह हमें अपने रसूल (स) और उनके प्रमाण को जानने और उनका पालन करने की क्षमता प्रदान करे।

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