हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , आयतुल्लाह बुशहरी ने आज 9 रबीउल अव्वल को हरम ए मासूमा स.अ. में आयोजित अहद-ए-सरबाज़ी" समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि ग़ैबत के दौर में ईमान वालों पर कुछ विशेष ज़िम्मेदारियाँ आती हैं। सबसे पहली ज़िम्मेदारी तक़्वा और इस्तिक़ामत की है ताकि आख़िरी ज़माने की उथल-पुथल भरी परिस्थितियों में वह गिरने का शिकार न हों।
उन्होंने दुआ ए अहद को इस रास्ते में एक मजबूत सहारा बताया और कहा कि जो व्यक्ति 40 दिन लगातार यह दुआ पढ़े, वह इमाम ज़माना अ.स. की विशेष कृपा और सहायता का हक़दार बन जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि इमाम के सच्चे इंतज़ार करने वालों मुंतज़िरीन के लिए ज़रूरी है कि वे इमाम अ.स. की हुकूमत के क़ायम होने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करें और जान, माल और परिवार की कुर्बानी देकर एक आदर्श समाज का निर्माण करें। उनके अनुसार, ईश्वर पर विश्वास और अल्लाह से गहरा संबंध भी प्रतिज्ञाकर्ताओं की एक प्रमुख विशेषता है, जो किसी की निंदा से डरते नहीं हैं।
अंत में, उन्होंने कहा कि हालाँकि सभी की इच्छा इमाम ज़माना (अ.स.) की ज़ियारत की है, लेकिन रिवायतें इस बात पर ज़ोर देती हैं कि दिल और कर्म को उनके रास्ते के साथ मिलाना ही असली इंतज़ार है।
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