हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने कहा है कि शियो की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ अपने क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि उनका मुख्य मिशन वैश्विक स्तर पर सुधार और तत्परता लाना है। उनके अनुसार, यह महान लक्ष्य तब तक हासिल नहीं किया जा सकता जब तक शिया बौद्धिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और वैश्विक क्षेत्रों में प्रभावी भूमिका नहीं निभाते।।
आयतुल्लाह जवादी आमोली का यह कथन ज़ियारत जामिया कबीरा पर टिप्पणी में उनके लेख "रिसालत शिया दर ईजाद आमादगी ए जहानी" में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने कहा कि शिया धर्म ही महदीवाद और वादा किए गए उद्धारकर्ता का असली उद्गम है, इसलिए अहले-बैत (अ) के अनुयायियों के लिए यह ज़रूरी है कि वे इस विचार को पूरी दुनिया तक पहुँचाएँ। आज, जब एक ओर तेज़ मीडिया है और दूसरी ओर मानवता एक उद्धारकर्ता विचारधारा की तलाश में है, ऐसे में शियो की ज़िम्मेदारी है कि वे प्रतीक्षा के मत को दृढ़ता से प्रस्तुत करें।
उन्होंने कहा कि शिया समाज अपने मूल विचार और महदीवाद की विचारधारा के माध्यम से वर्तमान वैश्विक परिस्थिति में एक बुनियादी बदलाव ला सकता है और एक न्यायपूर्ण महदी सरकार की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इसके लिए, शियो के लिए शैक्षणिक और बौद्धिक क्षेत्रों के साथ-साथ सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर पर भी प्रभावी भूमिका निभाना और एक न्यायपूर्ण इस्लामी सरकार के व्यापक मॉडल से दुनिया को अवगत कराना आवश्यक है।
आयतुल्लाह जावादी आमोली ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज दुनिया भर में महदीवाद की विचारधारा को अपनाने के पहले से कहीं ज़्यादा अवसर हैं। यदि इस विचार को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए, तो यह सीमाओं और पूर्वाग्रहों से परे होगा, दिलों पर कब्जा करेगा, और मानवता को सच्चे उद्धारकर्ता की ओर आकर्षित करेगा।
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