शनिवार 6 सितंबर 2025 - 14:00
इस्लामी एकता के लिए शियो का बलिदान अद्वितीय है: मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी

हौज़ा/ मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने इस्लामी जगत को हफ़्ता ए वहदत की बधाई दी और नमाज़ जुमा के खुत्बे में शैक्षणिक एकता और एकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि इस्लामी एकता के लिए शियो का बलिदान अद्वितीय है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हौज़ा ए इल्मिया गुफरान माब के प्रधानाचार्य मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने शाही आसिफी मस्जिद में अपने जुमे की नमाज़ के ख़ुत्बे में इस्लामी जगत को हफ़ता ए वहदत के अवसर पर बधाई दी और शैक्षणिक एकता और एकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि सय्यद हसन नसरूल्लाह (र) का जीवन कोई साधारण जीवन नहीं था, बल्कि उनकी क़ुरबानी दी गई, ईरान पर हमला हुआ, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ। इस्लामी जगत को यह सोचना चाहिए कि फ़िलिस्तीन में कोई शिया नहीं रहता। लेकिन शियो ने उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में क़ुरबानी दी।

मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने आगे कहा कि जिस तरह सुन्नियों को तबर्रा से ठेस पहुँचती है, उसी तरह अगर कोई झूठी रिवायतो के आधार पर अमीरुल मोमिनीन इमाम अली (अ) के पिता हज़रत अबू तालिब (अ) की शान में गुस्ताखी करता है, या शापित यज़ीद को "अल्लाह उस पर प्रसन्न हो" कहता है, तो हमें भी ठेस पहुँचती है। इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप अपनी क़ौम को समझाएँ और उन्हें उस ज़माने के यज़ीद और उमर बिन साद की पहचान कराएँ। उस ज़माने का यज़ीद वही है जिसके हाथों आपके फ़क़ीहों ने बैअत की है।

उन्होंने कहा कि आशूरा का मुख्य संदेश बदलाव है। उन्होंने कहा कि हमने 2 महीने 8 दिन तक शोक मनाया, सवाल यह है कि हममें कितना बदलाव आया? और इससे दूसरों में कितना बदलाव आया?

हौज़ा ए इल्मिया गुफरान मआब के प्रधानाचार्य ने कर्बला के शहीद हज़रत हुर्र (अ) का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति के दो दिन एक जैसे नहीं होने चाहिए, बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण हज़रत हुर्र (अ) हैं। उन्होंने चंद लम्हों में फ़ैसला किया और जन्नत हासिल की।

उन्होंने कहा कि कर्बला के शहीदों और कर्बला के क़ैदियों का ज़िक्र इंसान में बदलाव लाता है। उन्होंने बताया कि मोरक्को के विद्वान और शोधकर्ता श्री इदरीस हुसैनी, जो पहले शिया नहीं थे, इमाम हुसैन (अ) का इतिहास पढ़कर और "लकद शीअनी अल-हुसैन (अ)" नामक किताब लिखकर शिया बन गए।

मौलाना सय्यद रज़ा हैदर ज़ैदी ने इमाम हुसैन (अ) द्वारा लोगों में बदलाव लाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि प्रसिद्ध विद्वान और शोधकर्ता शेख़ मुहम्मद सलीम जब शिया बने तो उन्होंने अपने शिया बनने का कारण बताते हुए कहा कि हज़रत ज़ैनब (स) के ख़ुतबों ने मुझे शिया बनाया, कैसे एक मज़लूम औरत कूफ़ा के लोगों को संबोधित कर रही थी, उन्हें ललकार रही थी। इस ख़ुतबे ने मुझे बदल दिया।

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