शनिवार 6 सितंबर 2025 - 16:21
जनाब सलमान फ़ारसी ईमान, जिहाद और इस्लामी तरज़े ज़िंदगी में बे मिसाल हैं

हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकारिम शिराज़ी ने इस्फ़हान में आयोजित दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन सलमान फ़ारसी के समापन सत्र से वीडियो संदेश में कहा कि साहबी ए रसूल, हज़रत सलमान फ़ारसी की शख्सियत का हर पहलू अलग से तहक़ीक़ और पढ़ाई का हकदार है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , आयतुल्लाहिल उज़्मा नासिर मकारिम शिराज़ी ने इस्फ़हान में आयोजित दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन सलमान फ़ारसी के समापन सत्र से वीडियो संदेश में कहा कि साहबी ए रसूल, हज़रत सलमान फ़ारसी की शख्सियत का हर पहलू अलग से तहक़ीक़ और पढ़ाई का हकदार है।

उन्होंने कहा कि सलमान फ़ारसी कई पहलुओं से काबिल-ए-तवज्जो और तकरीम हैं। पहला यह कि वे ईरानी थे और इस्लाम कबूल करने के बाद इस दीनी मज़हब में दमक उठे। दूसरा यह कि जंग-ए-अहज़ाब में उनकी पेश की गई योजना, यानी खंदक खोदने का प्लान, मुसलमानों की जीत का बड़ा कारण बनी और इस्लाम की तरीख़ में एक मील का पत्थर बन गई।

आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी ने और कहा कि सलमान की ज़िंदगी इस बात का सबूत है कि इस्लाम किसी ख़ास क़ौम या इलाक़े तक महदुद नहीं है बल्कि एक आफ़ाक़ी मज़हब है जिसकी रोशनी में दुनिया की हर क़ौम खुशहाली हासिल कर सकती है।

सलमान ने इस्लाम हासिल करने के लिए बहुत मेहनत की, अपने वतन से मदीना मुनव्वराह हिजरत की और फिर मदान के वली चुने गए, लेकिन हुकूमत के बावजूद साधा ज़िंदगी अपनाए रखा। उनकी यही ज़िंदगी की रफ्तार ईरानियों के लिए जागरूकता का पैग़ाम बनी जो उस वक्त तक तकमील पसंदी के आदि थे।

उन्होंने कहा कि साधा ज़िंदगी के कारण और नतीजे, चाहे हुकूमत का दौर हो या उससे पहले, उम्मत-ए-मुसल्माना के लिए एक कीमती दौलत हैं। इसी तरह रसूल-ए-अकरम ﷺ के वो खास अल्फ़ाज़ जो उन्होंने सिर्फ सलमान के बारे में कहे, उनके बुलंद मक़ाम की गवाही देते हैं।

आख़िर में आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शिराज़ी ने ज़ोर दिया कि नई नस्ल को हज़रत सलमान फ़ारसी से परिचित कराने के लिए उनकी ज़िंदगी के किस्से आसान और बच्चों की भाषा में लिखे जाने चाहिए ताकि ये बड़ी शख़्सियत इस्लामी समाज के लिए एक अमली मिसाल बन सकें।

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