मंगलवार 25 फ़रवरी 2025 - 16:26
मौलाना नईम अब्बास मरहूम ने अपनी ज़िंदगी कौम के मार्गदर्शन और छात्रो की तालीम व तरबियत में गुज़ारीः मौलाना सय्यद अशरफ अली ग़रवी

हौज़ा / मौलाना मरहूम ने छात्रो की तालीम व तरबियत के लिए मदरसा इल्मुल हुदा मंगलौर और जामेअतुल मुन्तज़र नौगावां सादात में अज़ीम खिदमात अंजाम दीं जहां से अब तक सैकड़ों छात्र तालीम व तरबियत के ज़ेवर से आरास्ता हो चुके हैं उन्होंने मिंबर-ए-हुसैनी से एक अलग अंदाज़ में तबलीग़-ए-दीन अंजाम दी और मज़हब से खेलने वालों की धज्जियां उड़ाते रहे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी के प्रतिनिधि, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अशरफ़ अली अलग़रवी ने प्रसिद्ध आलिम और मुबल्लिग़ मौलाना सैयद नईम अब्बास आब्दी के इंतेक़ाल पर निम्नलिखित ताज़ियती पैग़ाम जारी किया हैं।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

बेहद अफ़सोसनाक ख़बर मिली कि मौलाना सैयद नईम अब्बास आब्दी ताब सराह इस फ़ानी दुनिया से रुख़्सत होकर बारगाहे इलाही में  पहुँच गए।

إنا لله و إنا إليه راجعون

मौलाना सैयद नईम अब्बास साहब ने अपनी पूरी ज़िंदगी क़ौम की रहनुमाई हिदायत और तालिब-ए-इल्मों की तालीम व तरबियत में गुज़ारी।

मौलाना मरहूम ने तालिब-ए-इल्मों की तालीम व तरबियत के लिए मदरसा इल्मुल हुदा मंग्लौर और जामिया-तुल-मुंतज़िर नौगाँव सादात में बेहतरीन ख़िदमात अंजाम दीं, जहाँ से अब तक सैकड़ों तालिबे-इल्म दीन की रोशनी से मुनव्वर हो चुके हैं वे मिंबर-ए-हुसैनी से अपने बेनज़ीर अंदाज़ में तब्लिग़-ए-दीन अंजाम देते रहे और दीन व मज़हब को बदनाम करने वालों का पर्दाफ़ाश करते रहे।

उनकी तालीमी ख़िदमात और इल्मी असार उनकी बाक़ियातुस-सालेहात में शामिल हैं।हाल ही में बुज़ुर्ग आलिम हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद सलमान अब्बास साहब की बरसी की मजलिस में शिरकत के लिए नौगाँव सादात जाने का मौक़ा मिला मगर अफ़सोस कि मौलाना नईम अब्बास साहब इलाज के लिए दिल्ली में दाख़िल थे इसलिए उनसे मुलाक़ात न हो सकी।मौलाना सैयद नईम अब्बास साहब का इंतेक़ाल एक दीनी, इल्मी और क़ौमी नुक़सान है।

मौलाना मरहूम के तमाम पसमानदगान, वाबस्तगान, शागिर्दान और अक़ीदत मंदों, और अहले ख़ानदान की ख़िदमत में ताज़ियत पेश करते हैं और बारगाहे इलाही में उनकी मग़फिरत और बुलंद दर्ज़ात की दुआ करते हैं।लोगो से मौलाना मरहूम के बुलंद दर्ज़ात के लिए सूरह फ़ातिहा की दरख़्वास्त है।

वस्सलाम
सैयद अशरफ़ अली अलग़रवी
बाबुल नजफ़, लखनऊ
26 शअ'बानुल मुअज़्ज़म 1446 हिजरी

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