शुक्रवार 12 सितंबर 2025 - 17:30
गज़्ज़ा का मुद्दा इस्लामी दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन दीरबाज़ ने यह बयान देते हुए कहा कि ग़ाज़ा का मुद्दा इस्लामी दुनिया का सबसे अहम मुद्दा है मुसलमानों की एकता को इस क्षेत्र में नरसंहार और नाकाबंदी के अंत तथा पवित्र क़ुद्स की आज़ादी पर समाप्त होना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन असगर दीरबाज़, जो कि रहबरी के विशेषज्ञ परिषद ने तेहरान में हौज़ा न्यूज़ एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा,दुनिया भर में इस्राईली शासन के अपराधों के प्रति घृणा और नफरत हर दिन पहले से अधिक बढ़ती जा रही है।

आज यह बच्चों का हत्यारा और ज़ालिम शासन बेहद घृणित बन चुका है, और फिलिस्तीनी जनता की अंतिम मुक्ति के लिए एक जीवनदायी अवसर पैदा हुआ है।

उन्होंने आगे कहा,इस्राईली शासन ने पिछले दो वर्षों में मानवता के खिलाफ बड़े पैमाने पर अपराध किए हैं और कई इस्लामी देशों पर हमला भी किया है, लेकिन उसे ईरानी जनता की ओर से कड़ी सज़ा भी मिली है। इस्लामी गणराज्य ईरान का व्यवहार इस्राईली अतिक्रमण के प्रति एक ऐसा मॉडल है जिसे अन्य सभी देशों को अपनाना चाहिए।

दीरबाज़ ने आगे कहा,इस अत्यंत संवेदनशील और निर्णायक दौर में इस्लामी उम्मत की एकता बहुत ज़रूरी है। अब जब पूरी दुनिया की जनता ज़ायोनी शासन के अमानवीय और बर्बर कार्यों के खिलाफ खड़ी होने को तैयार है, तो इस नापाक ट्यूमर पर निर्णायक और अंतिम वार करना चाहिए। हमें इस मौके को उदारता या ढिलाई के चलते गंवाना नहीं चाहिए।

उन्होंने दोहराया,ग़ज़ा का मुद्दा आज पूरी इस्लामी दुनिया का सबसे बड़ा और अहम मुद्दा है। मुसलमानों की एकता का मकसद इस क्षेत्र में हो रहे नरसंहार और नाकाबंदी को खत्म करना और पवित्र क़ुद्स (यरुशलम) की आज़ादी होना चाहिए। आज फिलिस्तीनी जनता की निगाहें पूरी इस्लामी उम्मत की ओर हैं और हमें इस उम्मीद को निराशा में नहीं बदलने देना चाहिए।

दीरबाज़ ने यह भी कहा,इस्लामी गणराज्य ईरान, अपने महान राष्ट्र के समर्थन से अपनी पूरी शक्ति और सभी संसाधनों को लगाकर फिलिस्तीन के मज़लूम और प्रतिरोधी लोगों का समर्थन करता है, और किसी भी सूरत में ग़ाज़ा में नरसंहार को जारी नहीं रहने देगा। हाल ही में हफ्ता ए वाहदत’ के मौके पर जो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें दर्जनों देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए, वह ज़ायोनी शासन के खिलाफ संघर्ष में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।

उन्होंने अंत में ज़ोर देकर कहा,कुछ इस्लामी देशों के नेताओं और राजनेताओं की चुप्पी ज़ायोनी शासन के अपराधों के सामने शर्मनाक है। लेकिन आज, पूरे विश्व में एकजुटता और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ इस क्षेत्र के इस कैंसर जैसे तत्व के खिलाफ एक ऐतिहासिक मौका सामने आया है। इस्लामी देशों को इस अवसर का उपयोग फिलिस्तीनी जनता के दर्द और पीड़ा को समाप्त करने के लिए करना चाहिए।

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